Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Sep, 2019 11:48 AM
कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा माहौल से करोड़ों रुपए के फल और ड्राई-फ्रूट का व्यापार प्रभावित हुआ है। इससे राज्य प्रशासन को मजबूरन नैशनल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) की मदद लेनी पड़ रही है।
शोपियांः कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा माहौल से करोड़ों रुपए के फल और ड्राई-फ्रूट का व्यापार प्रभावित हुआ है। इससे राज्य प्रशासन को मजबूरन नैशनल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) की मदद लेनी पड़ रही है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कश्मीर की अखरोट उत्पादन में 91 फीसदी, सेब में 70 फीसदी, बादाम में 90 के साथ चेरी और केसर में भी 90 फीसदी हिस्सेदारी है। इनका सालाना मूल्य करीब 7,000 करोड़ रुपए होता है। कश्मीर की खेती में हर साल 23.535 मीट्रिक टन पैदावार होती है। इसमें सेब, चीड़, नाशपाती जैसे फलों का 20.35 लाख मीट्रिक टन योगदान होता है। वहीं, सूखे फल की हिस्सेदारी 2.80 लाख मीट्रिक टन होती है। घाटी की करीब 3.3 लाख हेक्टेयर जमीन का उपयोग फल और सूखे फल उगाने के लिए किया जाता है।
उत्पाद को कम दाम में बेचने के लिए मजबूर
दक्षिण कश्मीर के सोपोर में एक सेब किसान ने बताया कि संवाद का माध्यम न होना उनकी सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा, 'लैंडलाइन कनेक्शन नहीं होने से हम अन्य राज्यों के होलसेल डीलरों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। सुरक्षा संबंधी चिंताओं की वजह से कोई कश्मीर आने के लिए तैयार नहीं है। हम अपने उत्पाद औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं। सरकार हमें ट्रक उपलब्ध करा सकती है लेकिन हमारे उत्पादों को खरीदेगा कौन?' 17-18 किलो का एक सेब बॉक्स 700-850 रुपए के बीच बिकता है।
घाटी में बागबानी उद्योग करीब 7 हजार करोड़ रुपए
शोपियां में एक अन्य सेब व्यापारी शाहनवाज ने बताया, 'पिछले साल मैंने 1200-1300 बॉक्स बेच लिए थे। हालांकि, इस साल मजदूर न होने और पैकेजिंग की समस्या से दाम गिरकर 450-500 रुपए बॉक्स पर आ गए हैं। हममें से कुछ लोगों ने ट्रांसपोर्ट कंपनियों से संपर्क किया है और उनसे कहा है कि वे बाजार के बजाय हमारे खेतों से माल लोड करें।' एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, घाटी में बागबानी उद्योग करीब 7,000 करोड़ रुपए का है, जिसमें सेब की पैदावार सबसे ज्यादा होती है। 2016-17 में बागवानी क्षेत्र ने सेब के बगीचे और अन्य के तहत 7.71 करोड़ रुपए का रोजगार दिया।
जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने पिछले हफ्ते कहा था कि NAFED इस क्षेत्र में सेब उत्पादकों की मदद करने के प्लान पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘वह एक योजना की घोषणा करेगा, जहां सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बाजार मूल्य से 10 रुपए अधिक होगा।’