Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Dec, 2020 12:28 PM
संसद की एक समिति ने कहा है कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से वाहन उद्योग को प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और क्षेत्र में करीब 3.45 लाख लोगों की नौकरियां जाने का अंदेशा है।
नई दिल्लीः संसद की एक समिति ने कहा है कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से वाहन उद्योग को प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और क्षेत्र में करीब 3.45 लाख लोगों की नौकरियां जाने का अंदेशा है। समिति ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को सौंपी। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सांसद केशव राव की अध्यक्षता वाली वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने वाहन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए कुछ उपायों का भी सुझाव दिया है। इसमें मौजूदा भूमि और श्रम कानूनों में बदलाव शामिल हैं।
उत्पादन में आई 20% की कमी
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘समिति को वाहन उद्योग के संठनों ने सूचित किया कि सभी प्रमुख मूल कलपुर्जे, उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) ने कम उत्पादन और वाहनों की बिक्री कम होने से अपने उत्पादन में 18 से 20 प्रतिशत की कमी की है। इससे वाहन क्षेत्र में रोजगार की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और क्षेत्र में करीब 3.45 लाख रोजगार के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।''
286 वाहन डीलरों की दुकानें बंद
रिपोर्ट के अनुसार वाहन उद्योग क्षेत्र में नियुक्तियां लगभग रूकी हुई हैं। इसके अलावा 286 वाहन डीलरों की दुकानें बंद हो गई हैं। उत्पादन में कटौती का कल-पुर्जे बनाने वाले उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे सर्वाधिक असर उन सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) पर पड़ा है, जो वाहन के उपकरण बनाने के काम में लगे थे। समिति ने कहा, ‘‘वाहन उद्योग संगठनों की सूचना के अनुसार कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन' से वाहन ओईएम में उत्पादन रूक गया। इससे वाहन क्षेत्र को प्रतिदिन करीब 2,300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
संसद की समिति ने यह भी कहा कि वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि ‘लॉकडाउन' की अवधि कब तक रहती है और कोविड-19 संकट की स्थिति कैसी रहती है। रिपोर्ट के अनुसार संकट को देखते हुए यह आशंका है कि वाहन उद्योग में कम-से-कम दो साल बड़ी गिरावट रह सकती है। इससे क्षमता का कम उपयोग होगा, पूंजी व्यय कम होगा, कंपनियों के दिवालिया होने तथा पूरे वाहन क्षेत्र में नौकरियों पर प्रतिकूल असर रहने की आशंका है।