Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 May, 2021 11:58 AM
दुनियाभर में बढ़ रही स्टील की कीमतों के बीच देश की स्टील निर्माता कंपनियां आने वाले 5 साल में अपनी निर्माण क्षमता में 29 मिलियन टन का विस्तार करने की योजना बना रही हैं। इनमें से विस्तार का अधिकतर कार्य वित्त वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।...
बिजनैस डैस्कः दुनियाभर में बढ़ रही स्टील की कीमतों के बीच देश की स्टील निर्माता कंपनियां आने वाले 5 साल में अपनी निर्माण क्षमता में 29 मिलियन टन का विस्तार करने की योजना बना रही हैं। इनमें से विस्तार का अधिकतर कार्य वित्त वर्ष 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। जे.एस.डब्ल्यू स्टील महाराष्ट्र के डोलवी और कर्नाटक के विजय नगर के अलावा ओडिशा के झरसुगुड़ा में भूषण पावर एंड स्टील प्रोजैक्ट में 14.8 मिलियन टन का क्षमता विस्तार करने की योजना बना रही है जबकि टाटा स्टील ने ओडिशा के कलिंगा नगर में 5 मिलियन टन क्षमता विस्तार का प्रोजैक्ट तैयार किया है।
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड भी ओडिशा के ही अंगुल में 6 मिलियन टन का क्षमता विस्तार करेगी।
इनके अलावा एन.एम.डी.सी. का नागरणार का 3 मिलियन टन की क्षमता विस्तार वाला ग्रीन फील्ड स्टील प्लांट भी काम करना शुरू कर देगा। कुल मिला कर स्टील कंपनियां करीब 29 मिलियन टन क्षमता का विस्तार करेंगी। टाटा स्टील ने हाल ही में कहा है कि उसने कलिंगा नगर प्लांट की क्षमता में 5 मिलियन टन के विस्तार का काम शुरू कर दिया है और यह कार्य 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।
क्षमता विस्तार पर 15 हजार करोड खर्च करेगी जे.एस. डब्ल्यू. स्टील
जे.एस.डब्ल्यू. स्टील के चीफ फाइनेंशियल आफिसर शेषगिरि राओ ने कहा कि कंपनी के विजय नारप्लांट की क्षमता फिलहाल 12 टन है और प्लांट के 4 हॉट मैटल युनिटस की क्षमता के विस्तार का काम चल रहा है और यह काम इस वर्ष पूरा हो जाएगा और इस से एक मिलियन टन क्षमता का विस्तार होगा। कंपनी के बोर्ड ने विजय नगर प्लांट की क्षमता में 5 मिलियन टन के विस्तार को मंजूरी दी है और यह काम 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस काम में करीब 15 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके अलावा डोवली प्लांट में रोके गए ब्लास्ट फर्नेस की क्षमता के काम को भी शुरू किया जा रहा है और इससे 1.5 मिलियन टन का क्षमता विस्तार होगा। विजय नगर प्लांट की क्षमता का विस्तार पूरा होने के बाद इसकी कुल क्षमता 2024 तक बढ़कर 19.5 मिलियन टन हो जाएगी जबकि डोवली प्लांट की क्षमता विस्तार का कार्य सितंबर महीने तक ही पूरा हो जाएगा। इसके अलावा 2.7 मिलियन टन की क्षमता वाले भूषण पावर एंड स्टील प्लांट की क्षमता भी बढ़ाकर 5 मिलियन टन की जा रही है। आने वाले वर्षों में देश अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और इस दौरान देश में स्टील की मांग भी बढे़गी लिहाजा इस मांग को पूरा करने के लिए ही कंपनी द्वारा क्षमता विस्तार का काम किया जा रहा है।
जिंदल स्टील की क्षमता 6 मिलियन टन बढ़ेगी
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के मैनेजिंग डायरैक्टर वी.आर. शर्मा का कहना है कंपनी अंगुल के अपने प्लांट की क्षमता को 6 से बढ़ा कर 12 मिलियन टन करने जा रही है और इसके बाद कंपनी की भारत में कुल क्षमता बढ़ कर 16 मिलियन टन हो जाएगी। इस काम में 18 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। कंपनी की क्षमता में 2024 तक तीन मिलियन टन का विस्तार कर लिया जाएगा जबकि शेष तीन मिलियन टन क्षमता 2026 तक जोडी जाएगी और इसके बाद कंपनी की क्षमता बढ़ कर 300 मिलियन टन हो जाएगी।
स्टील कंपनियों पर कर्ज कम हुआ: जयंत रॉय
रेटिंग एजैंसी इकरा के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट जयंत रॉय का मानना है कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही के बाद स्टील की कीमतों में काफी ज्यादा उछाल आया है जिसके बाद स्टील कंपनियों के पास काफी नकदी है लिहाजा कंपनियां अब क्षमता विस्तार के लिए बेहतर स्थिति में हैं। कंपनियां अब अपनी बैलेंस शीट को भी दुरुस्त कर रही हैं। इस दौरान टाटा स्टील का कर्ज 75389 करोड़ रुपए से कम हो कर वित्त वर्ष 2021 में 29390 करोड़ रुपए रह गया है। इसी प्रकार जिंदल स्टील एंड पावर के कर्ज में 13773 करोड़ रुपए की कमी आई है जबकि सरकार की कंपनी स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया का कर्ज भी इस दौरान 35330 करोड़ रुपए से कम होकर 16150 करोड़ रुपए रह गया है। जे.एस.डब्ल्यू. द्वारा क्षमता विस्तार के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का खर्च किए जाने के बाद भी कंपनी के कर्ज में 858 करोड़ रुपए की कमी आई है।
कई जगह स्टील यूनिट्स ठप्प, 10% कम हो सकता है उत्पादन
कोरोना महामारी के चलते सरकार द्वारा लिक्विड गैस के गैर मैडीकल गतिविधियों में इस्तेमाल करने पर लगाई गई रोक का असर देश में सैकेंडरी स्टील के निर्माण पर पड़ना शुरू हो गया है। देश में होने वाले कुल स्टील निर्माण में सैकेंडरी स्टील की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। आक्सीजन की कमी के चलते इस साल देश में स्टील निर्माण में 8 से 10 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। ज्वाइंट प्लांट कमेटी के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 के पहले 11 महीनों में देश में 85.6 मिलियन टन स्टील का निर्माण हुआ है और यह पिछले साल इसी अवधि में हए स्टील निर्माण की तुलना में 10.3 प्रतिशत कम है, हालांकि इस दौरान स्टील की मांग में भी 9.9 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह कम हो कर 84.69 मिलियन टन रह गई है।
कर्नाटक महारष्ट्र में उत्पादन प्रभावित
कर्नाटक में स्पैशल स्टील का निर्माण करने वाली कंपनी कल्याणी स्टील के मैनेजिंग डायरैक्टर आर. के. गोयल ने कहा कि आक्सीजन की उपलब्धता न होने के कारण कंपनी ने अपना प्लांट बंद कर दिया है और इस से हर माह 20 हजार टन स्टील का निर्माण प्रभावित हुआ है और फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति है लिहाजा प्लांट कब दोबारा शुरू होगा, इसे लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि बाजार में मांग ज्यादा न होने के कारण आपूर्ति में कोई बड़ी बाधा नहीं आ रही। महाराष्ट्र के रायगढ़ में 2 लाख टन की क्षमता वाला स्टील प्लांट चला रही महिंद्रा साइनो स्पेशल स्टील के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी का प्लांट पिछले 18-19 दिन से पूरी तरह से ठप्प है। इससे पहले कंपनी अपने पास स्टॉक में मौजूद हाऊस सप्लाई की आक्सीजन से प्लांट चला रही थी लेकिन अब काम बंद हो चुका है। इसी प्रकार स्पैशल स्टील बनाने वाली आर.पी.स्टील और अरोड़ा स्टील का काम भी आक्सीजन की आपूर्ति रुकने की वजह से प्रभावित हुआ है।
ग्राहकों को कीमतों में कमी की उम्मीद
मुंबई की कैपिटल गुड्स निर्माता कंपनी के.ई.सी. इंटरनैशनल के सी.ई.ओ. विमल केजरीवाल का मानना है कि ग्राहकों को भी स्टील की मांग में कमी के कारण आने वाले महीनों में कीमतों में कमी की उम्मीद है। बाजार में समुचित आपूर्ति और मांग में कमी होने के बावजूद स्टील की कीमतें लगातार ऊंचे स्तर पर बनी हुई है, लिहाजा आने वाले दिनों में स्टील की कीमतों में कमी हो सकती है जिससे हमारे नुक्सान की भरपाई हो सकेगी।
सारे यूनिट्स आक्सीजन की कमी से प्रभावित नहीं
इंस्टीच्यूट ऑफ स्टील डिवेलपमेंट एड ग्रोथ के महासचिव पी.के. सेन का मामना है कि सैकेंडरी स्टील का निर्माण करने वाले सारे युनिटस आक्सीजन की कमी से प्रभावित नहीं हुए है आर्क फर्नेस का निर्माण करने वाले स्टील यूनिट्स को आवसीजन की कमी से फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि इस तरह का स्पेशल स्टील बनाने की प्रकिया में आक्सीजन का इस्तेमाल नहीं होता। ऐसे यनिटस निर्माण गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले टी.एम.टी. बार का निर्माण करते है और इस तरह का निर्माण आवसीजन की कमी से प्रभावित नहीं होता। सैकेंडरी स्टील का सैक्टर असंगठित है और बिखरा हुआ है लिहाजा इलेक्ट्रॉनिक तरीके से चलाई जाने वाली आर्क फर्नेस और इंडक्शन आर्क फर्नेस का डाटा उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद स्टील के निर्माण को झटका लग रहा है।