Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Dec, 2022 01:15 PM
मांग में जुझारूपन तथा लागत के दबाव में कमी आने से नए ऑर्डर की संख्या बढ़ी तथा निर्यात में वृद्धि हुई जिससे भारत में विनिर्माण गतिविधियां नवंबर में तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। एक मासिक सर्वेक्षण में बृहस्पतिवार को यह बात कही गई।
नई दिल्लीः महंगाई में नरमी आने का असर फैक्ट्री एक्टिविटीज पर दिख रहा है। नवंबर में भारत की फैक्ट्री एक्टिविटीज 3 महीने के हाई पर पहुंच गई है। एस एंड पी ग्लोबल के मुताबिक नवंबर महीने में भारत की मैन्युफैक्चरिंग PMI बढ़कर 55.7 पहुंच गई है। यह 3 महीने में सबसे ज्यादा है। बता दें कि अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग PMI 55.3 के लेवल पर थी। नवंबर 2022 लगातार 17वां महीना है, जब मैन्युफैक्चरिंग PMI का लेवल 50 के पार बना हुआ है। PMI का 50 से अधिक होना ग्रोथ को दिखाता है, जबकि 50 से नीचे होना संकुचन को दिखाता है।
इनपुट कास्ट इनफ्लेशन 2 साल के लो पर
एक निजी सर्वे के मुताबिक ग्लोबल इकोनॉमिक कंडीशन में गिरावट के बावजूद डिमांड बनी हुई है क्योंकि इनपुट कास्ट इनफ्लेशन 2 साल के निचले स्तर पर है। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कंज्यूमर इनफ्लेशन सितंबर के 5 महीने के हाई लेवल 7.41 फीसदी से अक्टूबर में घटकर 6.77 फीसदी पर आ गया। यह दर्शाता है कि आगे कीमतों में बढ़ोतरी की दर घट सकती है, जिससे मैन्युफैक्चरर्स को कुछ राहत मिलेगा।
मंदी की आशंकाओं के बीच बेहतर प्रदर्शन
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलीअन्ना डी लीमा ने कहा कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने नवंबर में अच्छा प्रदर्शन जारी रखा। कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बिगड़ते आउटलुक के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन भारत में बेहतर रहा। यह गुड्स प्रोड्यूसर्स के लिए हमेशा की तरह बिजनेस था, जिन्होंने बढ़ रही डिमांड के बीच प्रोडक्शन वॉल्यू माक 3 महीने के हाई पर पहुंचा दिया।
रोजगार में बढ़ोतरी
पॉजिटिव सेंटीमेंट को दर्शाते हुए, अक्टूबर को छोड़कर जनवरी 2020 के बाद से रोजगार सबसे तेज दर से बढ़ा है। विशेष रूप से कंज्यूमर और इंटरमीडिएट वस्तुओं के लिए मजबूत मांग और मार्केटिंग ने नए ऑर्डर सब-इंडेक्स को 3 महीने के हाई लेवल पर पहुंचा दिया है। अंतरराष्ट्रीय मांग में लगातार 8वें महीने और अक्टूबर के समान गति से बढ़ोतरी हुई। 26 महीनों में इनपुट कास्ट सबसे धीमी गति से बढ़ीं हैं, जिससे निर्माताओं को कुछ राहत मिली। फरवरी के बाद से सबसे कम दर से बिक्री कीमतों में बढ़ोतरी के साथ एंड-कंज्यूमर्स को भी लाभ हुआ।