2020 में कारोबारी प्रदर्शन को लेकर मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनियों में चिंता

Edited By vasudha,Updated: 03 Jan, 2020 10:29 AM

manufacturing companies worry about business performance in 2020

देश के मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर की गतिविधियों में दिसम्बर में सुधार दर्ज किया गया लेकिन 2020 के वार्षिक आऊटलुक को लेकर कम्पनियों ने चिंता जताई है। आज जारी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडैक्स (पी.एम.आई.) मासिक सर्वेक्षण में कहा गया कि कम्पनियों की इस चिंता से...

बिजनेस डेस्क: देश के मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर की गतिविधियों में दिसम्बर में सुधार दर्ज किया गया लेकिन 2020 के वार्षिक आऊटलुक को लेकर कम्पनियों ने चिंता जताई है। आज जारी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडैक्स (पी.एम.आई.) मासिक सर्वेक्षण में कहा गया कि कम्पनियों की इस चिंता से नए साल के शुरूआती हिस्से में उत्पादन, निवेश और रोजगार सृजन प्रभावित हो सकता है। आई.एच.एस. मार्कीट की प्रधान अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि कारोबारियों की चिंता का पता विश्वास के स्तर से चलता है। 2019 के अंत में कारोबारियों में आशा का स्तर करीब 3 साल के निचले स्तर पर दिखा। सर्वेक्षण के मुताबिक अगले 12 महीने में उत्पादन में बढ़ौतरी की उम्मीद है लेकिन आशा का स्तर 34 महीने के निचले स्तर पर है।

 

दिसम्बर में मैन्यूफैक्चरिंग पी.एम.आई. 51.2 से 52.7 पर पहुंचाआई.एच.एस. मार्कीट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पी.एम.आई. दिसम्बर में बढ़कर 52.7 पर पहुंच गया, जो नवम्बर में 51.2 पर था। यह गत 10 महीने में सबसे तेज उछाल है। इस दौरान कम्पनियों को मिले नए ठेकों में जुलाई के बाद सबसे तेज बढ़ौतरी दर्ज की गई है। उत्पादन बढऩे के कारण कम्पनियों ने नई बहाली भी शुरू की।

 

लगातार 29वें माह मैन्यूफैक्चरिंग पी.एम.आई. 50 से ऊपर
मैन्यूफैक्चरिंग पी.एम.आई. लगातार 29वें महीने 50 से ऊपर है। पी.एम.आई. की शब्दावली में इंडैक्स के 50 से ऊपर रहने का मतलब यह होता है कि संबंधित क्षेत्र का उत्पादन बढ़ा है। यदि यह 50 पर है, तो इसका मतलब यह हुआ कि उत्पादन जस का तस है और 50 से नीचे रहने का मतलब यह होता है कि संबंधित क्षेत्र का उत्पादन घटा है।

 

मैन्यूफैक्चरिंग महंगाई 13 माह के ऊपरी स्तर पर
सर्वेक्षण के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर में महंगाई 13 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है। लीमा ने कहा कि इनपुट लागत और आऊटपुट चार्ज दोनों में महंगाई तेजी से बढ़ी है। आऊटपुट चार्ज में तेज बढ़ौतरी से पता चलता है कि कम्पनियों की कीमत निर्धारण क्षमता (प्राइसिंग पावर) बढ़ी है।

 

निर्यात का ठेका बढऩे के कारण कुल बिक्री बढ़ी
अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि मांग बढऩे से कम्पनियों को लाभ मिला, इसलिए कम्पनियों ने मई के बाद उत्पादन में सबसे तेज बढ़ौतरी की। दिसम्बर में नई लागत खरीदारी और रोजगार में भी बढ़ौतरी हुई। सर्वेक्षण के मुताबिक नए ठेकों में जुलाई के बाद से सबसे तेज बढ़ौतरी हुई। विदेशी मांग बढऩे के कारण कुल बिक्री में बढ़ौतरी दर्ज की गई। लगातार 26वें माह निर्यात के ठेकों में बढ़ौतरी हुई है। हालांकि यह बढ़ौतरी मामूली है।
 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!