केंद्र की योजना: बेची जाएंगी कई सरकारी कंपनियां, तैयार किया यह बड़ा प्लान

Edited By Supreet Kaur,Updated: 27 Sep, 2019 01:40 PM

many government companies will be sold prepared this big plan

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘निजीकरण'' को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए कहा कि ‘जो भी बिक सकता है उसे बेचा जाएगा।'' इसके अलावा सरकार चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने की भी योजना बना रही...

मुंबईः वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘निजीकरण' को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए कहा कि ‘जो भी बिक सकता है उसे बेचा जाएगा।' इसके अलावा सरकार चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने की भी योजना बना रही है।
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PSU में हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे आएगी 
अधिकारी ने कहा कि सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने के लिए कानून में कुछ संशोधन करने की जरूरत होगी। साथ ही इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ये कंपनियां केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के नियंत्रण दायरे से बाहर आ सकें। अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व में सार्वजनिक उपक्रमों में कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी रखने का फैसला किया था। अब मंत्रिमंडल को ही इस हिस्सेदारी को इससे नीचे लाने पर फैसला करना होगा।
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प्राथमिकता में निजीकरण
अधिकारी ने कहा कि सरकार चुनिंदा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अपनी इक्विटी हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने की योजना बना रही है। अधिकारी ने कहा कि इस तरह का कदम संभव है। इसके लिए कंपनी कानून की धारा 241 में संशोधन करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि अगले तीन-चार साल में सरकार की शीर्ष प्राथमिकता निजीकरण की है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें प्रधानमंत्री का पूरा समर्थन है। उस समर्थन के जरिए मुझे पूरा भरोसा है कि जो भी बिक सकता है उसे बेचा जाएगा। जो नहीं बिकने योग्य है उसे भी बेचने का प्रयास किया जाएगा।''
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निजीकरण को लेकर सरकार प्रतिबद्ध
अधिकारी ने यह भी माना कि इस मामले में विभिन्न पक्षों द्वारा अवरोध खड़े किए जाएंगे लेकिन सरकार ने अपना मन बना लिया है। उन्होंने कहा कि 70 साल पुरानी मानसिकता को छोड़ना इतना आसान नहीं है। जो भी सार्वजनिक उपक्रमों के शीर्ष पर बैठे हैं वह अपना नियंत्रण नहीं छोड़ना चाहते हैं। लेकिन सरकार निजीकरण को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। 

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