बैंक, इंश्योरैंस, इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई सैक्टरों में घटी हायरिंग की रफ्तार!

Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Aug, 2019 09:47 AM

many sectors have reduced hiring speed

डिमांड में कमी की वजह से देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बड़े संकट से गुजर रही है। दिग्गज कार कम्पनियों को अपना प्रोडक्शन घटाना पड़ा है। ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कम्पनियों ने कांट्रैक्ट पर काम करने वाले लोगों को नौकरियों से निकालना शुरू कर दिया है। एक...

नई दिल्लीः डिमांड में कमी की वजह से देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बड़े संकट से गुजर रही है। दिग्गज कार कम्पनियों को अपना प्रोडक्शन घटाना पड़ा है। ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कम्पनियों ने कांट्रैक्ट पर काम करने वाले लोगों को नौकरियों से निकालना शुरू कर दिया है। एक आकलन के मुताबिक लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। बहुत सारी कम्पनियों ने नई हायरिंग पर भी रोक लगा दी है। अब यह स्पष्ट है कि देश में आर्थिक गतिविधियां सुस्त पडऩे की वजह से रोजगार पर संकट है।

उधर नई नौकरियों के लिए हायरिंग की धीमी रफ्तार से अर्थव्यवस्था के कई सैक्टर प्रभावित हुए हैं। एक ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। बता दें कि हाल ही में आए सरकारी आंकड़ों में यह माना गया था कि देश में बेरोजगारी की दर 45 साल के चरम पर है। ऐसे में अधिकतर सैक्टरों में हायरिंग पर असर पडऩा स्वाभाविक लगता है।

केयर रेटिंग्स लिमिटेड की एक स्टडी के मुताबिक बैंक, इंश्योरैंस कम्पनियों, ऑटो मेकर्स से लेकर लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर कम्पनियों तक में नई नौकरियां देने की रफ्तार घट गई है। केयर रेटिंग्स लिमिटेड ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 1000 कम्पनियों की ओर से मार्च आखिर में दाखिल की गई सालाना रिपोर्ट को आधार बनाया है। केयर रेटिंग्स के मुताबिक मार्च, 2017 में रोजगार में वृद्धि 54 लाख की थी जो मार्च, 2018 में 57 लाख के करीब पहुंच गई, यह 6.2 प्रतिशत का इजाफा था। इस साल मार्च में यह आंकड़ा 60 लाख का ही रहा और जॉब ग्रोथ महज 4.3 प्रतिशत ही रही, केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के हिसाब से हॉस्पिटैलिटी यानी सर्विस सैक्टर में हायरिंग और आऊटसोर्सिंग में इजाफा हुआ है।

सर्विस सैक्टर में सबसे ज्यादा उम्मीदें 
अच्छी खबर सिर्फ सर्विस सैक्टर से जुड़ी है, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच सिर्फ सर्विस सैक्टर एक ऐसा स्थान है जहां सबसे ज्यादा उम्मीदें दिखती हैं। जॉब या सैलरी बढऩे की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा अवसर देखने को मिले हैं। इकोनॉमी के मद्देनजर इस सैक्टर को बेहद अहम माना जाता है।

मोदी सरकार के सामने बेरोजगारी बड़ी चुनौती
नई नौकरियां न पैदा होना घटती डिमांड की वजह से पहले से ही सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर नहीं है। भारत दुनिया के सामने निवेश के बड़े केन्द्र के तौर पर खुद को पेश कर रहा है, ऐसे में पी.एम. नरेंद्र मोदी की सरकार के सामने भी बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है।

जी.डी.पी. ग्रोथ 5 साल के सबसे निचले स्तर पर
मार्च तिमाही में देश की जी.डी.पी. ग्रोथ 5 साल के सबसे निचले स्तर पर रही है और अब हायरिंग में कमी से साफ  है कि देश आर्थिक संकट के दौर में प्रवेश कर चुका है। भारत को निवेश के लिए आकर्षक जगह के तौर पर पेश करने के पी.एम. नरेंद्र मोदी के प्लान को भी इससे झटका लग सकता है। इसके साथ ही जॉब का संकट गहराने से सामाजिक तनाव में भी इजाफा हो सकता है।

दिग्गज कम्पनियों में इम्प्लाइज की संख्या घटी
रिपोर्ट के मुताबिक माइनिंग, स्टील और आयरन जैसी दिग्गज कम्पनियों में इम्प्लाइज की संख्या घटी है। इसकी वजह मांग घटने से उत्पादन में कमी और कम्पनियों के बैंकरप्ट होने जैसे मामले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक ने अपने कामकाज की आऊटसोर्सिंग कर दी है और काफी हद तक जबरन या स्वैच्छिक तरीके से कर्मियों की संख्या में कमी की है। सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंक के खराब प्रदर्शन की वजह से उनमें नई नियुक्ति पर रोक भी लगा दी गई है। 

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