MP जैसे कई राज्य नए कृषि सुधारों को अपना रहे हैं: नीति आयोग

Edited By rajesh kumar,Updated: 13 Aug, 2020 11:39 AM

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मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य नए कृषि सुधारों को अपना रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ राज्य किसानों को इन बदलावों का विरोध करने के लिए उकसा कर रहे हैं। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बुधवार को यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जो...

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य नए कृषि सुधारों को अपना रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य से, कुछ राज्य किसानों को इन बदलावों का विरोध करने के लिए उकसा कर रहे हैं। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बुधवार को यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जो प्रतीक्षा करो और इंतजार करो’ रुख को अपना रहे हैं, लेकिन समय बीतने के साथ उन्हें गलती का एहसास होगा। चंद, 15 वें वित्त आयोग के सदस्य भी हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार कृषि में बदलाव लाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक आकर्षक पैकेज के साथ आने की योजना बना रही है। हाल ही में, सरकार ने कृषि में दो अध्यादेश लाये जिससे किसानों को मण्डी के बाहर अपनी उपज बेचने की अनुमति मिल सके और वे अपनी उपज की बिक्री के लिए निजी कंपनियों के साथ समझौता कर सकें। सरकार ने खाद्य वस्तुओं को विनियमन के दायरे से बाहर करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन का भी प्रस्ताव किया है।

चंद ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि से सुधार विशेषज्ञों की सिफारिशों से बढ़ कर है, ‘कई विशेषज्ञ स्तब्ध हैं.. जो इसे पचा नहीं पा रहे, समझ नहीं पा रहे हैं। इसलिए, आप इन सुधारों के जवाब में बहुत अधिक भ्रमित प्रतिक्रियाएं देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि सभी सरकारी संस्थान इन सुधारों को आक्रामक रूप से बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने महसूस किया है कि ये सुधार समय की जरूरत हैं। उन्होंने कहा वे पाते हैं कि कृषि को भविष्य में, यहां तक ​​कि रोजगार के क्षेत्र में और कई अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी भूमिका निभानी है। चंद ने कहा कि जल्द ही ये सुधार मौजूदा कृषि बाजार के परिदृश्य को बदल देंगे, चंद ने कहा कि यह राज्य सरकारों और निवेशकों की त्वरित प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।

उन्होंने कहा अभी, अगर मैं राज्यों को देखता हूं, तो मैं उन्हें तीन श्रेणियों में रखता हूं। मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं जो उत्साह से सुधारों को गले लगा रहे हैं। राज्यों की एक दूसरी श्रेणी है जो ‘इंतजार करो और देखो’ नीति को अपना रहे हैं, जबकि राज्यों की एक तीसरी श्रेणी है ‘दुर्भाग्य से, जहां सरकारें भी किसानों को सुधारों के खिलाफ विरोध करने के लिए उन्हें उकसा रही हैं। मुझे लगता है कि समय बीतने के साथ, वे अपनी गल्ती का अहसास करेंगे। चंद ने कहा कि एक राज्य निवेश आकर्षित करेगा, दूसरा राज्य निवेश से दूर रहेगा और तीसरा राज्य बस इंतजार करेगा। इन सुधारों से निवेशकों के लिए बने वाले अवसरों के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें कृषि के बढ़ते व्यवसायीकरण तथा किसानों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिये।

 

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