Edited By PTI News Agency,Updated: 29 Mar, 2020 05:48 PM
देश में कोरोना वायरस महामारी का असर बिजली मांग पर भी पड़ रहा है। बिजली की अधिकतम मांग शनिवार को 28 प्रतिशत घटकर 1,17,760 मेगावाट रही जो 20 मार्च को 1,63,720 मेगावाट थी। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के आंकड़े के अनुसार बिजली की आपूर्ति में वास्तविक आधार...
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस महामारी का असर बिजली मांग पर भी पड़ रहा है। बिजली की अधिकतम मांग शनिवार को 28 प्रतिशत घटकर 1,17,760 मेगावाट रही जो 20 मार्च को 1,63,720 मेगावाट थी। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के आंकड़े के अनुसार बिजली की आपूर्ति में वास्तविक आधार पर 20 मार्च के बाद से 46,000 मेगावाट की कमी आयी है। इसका मुख्य कारण देश भर में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ से उद्योग तथा राज्य बिजली वितरण कंपनियों से मांग में कमी है।
एनएलडीसी आंकड़े के अनुसार 20 मार्च को अधिकतम आपूर्ति 1,63,720 मेगावाट थी जो 21 मार्च को कम होकर 1,61,740 मेगावाट पर आ गयी। वहीं 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता कफ्र्यू के आह्वान के कारण यह कम होकर 1,35,200 मेगावाट पर आ गयी। आंकड़े के अनुसार सोमवार को बिजली की अधिकतम आपूर्ति सुधरकर 1,45,490 मेगावाट हो गयी जो मंगलवार और बुधवार को फिर से कम होकर क्रमश: 1,35,930 और 1,27,960 मेगावाट पर आ गयी। बिजली की अधिकतम आपूर्ति बृहस्पतिवार और शुक्रवार को घटकर क्रमश: 1,20,310 मेगावाट और 1,15,230 मेगावाट पर आ गयी। यह लगातार मांग में नरमी को बताता है।
हालांकि शनिवार को कुछ सुधार हुआ और बिजली आपूर्ति सुधरकर अधिकतम 1,17,760 मेगावाट रही। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च को 21 दिन के लिये देशव्यापी बंद की घोषणा की। इससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गयी हैं। उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने कहा अगले महीने के मध्य तक स्थिति में कोई बहुत सुधार होने की उम्मीद नहीं है। इसके अलावा सरकार ने बिजली उत्पादक कंपनियों को वितरण कंपनियों से भुगतान नहीं होने पर भी अगले तीन महीने तक बिजली आपूर्ति जारी रखने को कहा है। साथ ही 30 जून तक देरी से भुगतान पर जुर्माना भी हटा दिया है। इन परिस्थितियों में बिजली उत्पादक कंपनियों पर 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने को लेकर दबाव बढ़ेगा।