Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Sep, 2020 11:25 AM
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में लागत कटौती की कैंची चलने की संभावना है। कंपनी के एक प्रस्ताव के मुताबिक उसके प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रविंदर ठक्कर को उनके मौजूदा तीन साल के कार्यकाल के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा।
नई दिल्लीः वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में लागत कटौती की कैंची चलने की संभावना है। कंपनी के एक प्रस्ताव के मुताबिक उसके प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रविंदर ठक्कर को उनके मौजूदा तीन साल के कार्यकाल के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा। वोडाफोन आइडिया की 25वीं सालाना आम बैठक 30 सितंबर को होनी है।
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बैठक में कंपनी ठक्कर की नियुक्ति और अन्य प्रस्तावों पर शेयरधारकों की मंजूरी मांगेगी। तब संभवतया इस प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल सकती है। कंपनी ने अपनी वार्षिक आम सभा की सूचना में कहा है कि वोडाफोन आइडिया ठक्कर के कंपनी के काम के चलते होने वाले खर्चे वहन कर सकती है।
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वोडाफोन आइडिया ने ठक्कर को बलेश शर्मा के इस्तीफे के बाद ठक्कर को तीन साल के लिए अपना प्रबंध निदेशक और सीईओ नियुक्त किया था। उनका कार्यकाल 19 अगस्त 2019 से प्रभावी है और उन्हें उनके कार्यकाल के लिए ‘शून्य पारिश्रमिक' दिया जाएगा। ठक्कर से पहले शर्मा को कंपनी सालाना 8.59 करोड़ रुपए का पैकेज दिया था। हालांकि उनके वेतन में 2019-20 के लिए किसी तरह की बढ़ोत्तरी की कोई अनुशंसा नहीं की गई थी।
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ठक्कर के नियुक्ति की शर्तों में कहा गया है कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड कंपनी के काम से किए जाने वाले उनके यात्रा, रहने-खाने, मनोरंजन और अन्य खर्चे कंपनी की नीति के अनुरूप उठा सकती है। ठक्कर को निदेशक मंडल या समिति की बैठकों में शामिल होने के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं दिया जाएगा। इसी के साथ कंपनी अपनी ऋण सीमा को 25,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव भी बैठक में रखेगी। निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी घाटे में है और वित्तीय संकट से गुजर रही है।
सरकार के दावे के अनुसार कंपनी को समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाए के रूप में 58,250 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। अभी कंपनी इसमें से 7,854 करोड़ रुपए का ही भुगतान कर सकी है। इसी के साथ कंपनी के उपयोक्ताओं की संख्या भी लगातार घट रही है। अगस्त 2018 में वोडाफोन और आइडिया के विलय के वक्त दोनों के मिलाकर 43 करोड़ उपभोक्ता थे। अब यह घटकर 30.9 करोड़ रह गए हैं।