बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय, पर राजकोषीय मजबूती का मामला पीछे छूटा: एस एंड पी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Feb, 2021 02:14 PM

measures to accelerate the economy in the budget but the case of fiscal

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि भारत का अगले वित्त वर्ष का बजट आर्थिक पुनरूद्धार को गति देने का सरकार का एक प्रयास है लेकिन आने वाले समय में नीतिनिर्माताओं के लिए राजकोषीय मजबूती एक बड़ी चुनौती होगी।

नई दिल्लीः एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि भारत का अगले वित्त वर्ष का बजट आर्थिक पुनरूद्धार को गति देने का सरकार का एक प्रयास है लेकिन आने वाले समय में नीतिनिर्माताओं के लिए राजकोषीय मजबूती एक बड़ी चुनौती होगी। रेटिंग एजेंसी फिलहाल बजट के कारण भारत के मुख्य ऋण कारकों पर कोई खास प्रभाव नहीं देखती लेकिन उसके अनुसार सार्वजनिक वित्त को टिकाऊ बनाये रखने के लिए अर्थव्यवस्था की बेहतर वृद्धि संभावना महत्वपूर्ण होगी। उसने कहा कि केंद्र और राज्यों का संयुक्त रूप से घाटा अगले कुछ साल में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 90 प्रतिशत से अधिक हो जाने की आशंका है। 

एस एंड पी ने कहा कि बजट में राजकोषीय मजबूती के मुद्दे को पीछे छोड़ दिया गया। अर्थव्यवस्था की सेहत को दुरूस्त करने के लिये आक्रमक तरीके से प्रावधान महंगा साबित होगा। सरकार का चालू वित्त वर्ष के लिये 9.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान अमेरिकी रेटिंग एजेंसी की उम्मीद से कहीं अधिक है। एस एंड पी ने एक बयान में कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था की मदद के लिए उल्लेखनीय समर्थन के साथ इस स्तर से राजकोषीय मजबूती भारत के नीति निर्माताओं के लिए बड़ी चुनौती है। सरकार को जोर अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करते हुए जरूरी खर्चों और सीमिति राजकोषीय गुंजाइश के बीच संतुलन बनाने पर होगा। हालांकि वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने की गति महामारी से पहले की योजना के मुकाबले काफी धीमी होगी।'' 

सरकार ने 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है। एस एंड पी ने कहा, ‘‘भारत के 2021-22 के बजट में सरकार द्वारा देश के आर्थिक पुनद्धार को गति देने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास दिखते हैं लेकिन लिए जो खर्च की योजना बनाई गई है, उससे केंद्र एवं राज्यों का संयुक्त रूप से राजकोषीय घाटा संभावना से अधिक रहने का अनुमान है।'' रेटिंग एजेंसी ने पिछले महीने भारत के वास्तविक वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित करते हुए 2020-21 में इसमें 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया था। पूर्व में इसमें 9 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया गया था। हालांकि उसने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में लंबा समय लगेगा। 

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