माइंडट्री के अधिग्रहण की पहल सिद्धार्थ के हिस्सेदारी बेचने से हुई शुरू: एलएंडटी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Mar, 2019 05:32 PM

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सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी माइंडट्री के जबरन अधिग्रहण की कोशिश कर रही इंजीनियरिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) का कहना है कि इस सौदे का विचार तीन महीने पहले तब बना जब कंपनी में

मुंबईः सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी माइंडट्री के जबरन अधिग्रहण की कोशिश कर रही इंजीनियरिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) का कहना है कि इस सौदे का विचार तीन महीने पहले तब बना जब कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले वी.जी. सिद्धार्थ ने अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए कंपनी से संपर्क किया। एलएंडटी ने विश्वास जताया कि वह माइंडट्री के नाराज प्रवर्तकों को मना लेगी। 

एलएंडटी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस. एन. सुब्रमण्यम ने मसाला हिंदी फिल्मों से स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि यह दिल और प्यार का मामला है और हम सबके दिलों को जीत लेंगे। सुब्रहमणयम ने स्पष्ट किया कि माइंडट्री के अधिग्रहण को वह अपने 15,000 करोड़ रुपए से अधिक के नकदी भंडार के निवेश के तौर पर देखते हैं। वह इस कंपनी में न्यूनतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी चाहते हैं।

एलएंडटी ने कैफे कॉफी डे के मालिक वी.जी. सिद्धार्थ की माइंडट्री में 20.32 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए सोमवार को समझौता कर लिया। इसके लिए उसने 980 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से कुल 3,269 करोड़ रुपए का नकद भुगतान करने पर सहमति जताई। कंपनी ने माइंडट्री में लगभग 67 प्रतिशत तक हिस्सेदारी 10,733 करोड़ रुपए में अधिगृहीत करने की घोषणा की थी। इसके लिए सिद्धार्थ की हिस्सेदारी के अलावा खुले बाजार से 2,434 करोड़ रुपए में माइंडट्री की 15 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदने और माइंडट्री में ही 31 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए 5,030 करोड़ रुपए की खुली पेशकश शामिल है। हालांकि, इस पर माइंडट्री के प्रवर्तकों ने नाराजगी जताई।

कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन कृष्णकुमार नटराजन के नेतृत्व में माइंडट्री के सह-संस्थापक सुब्रतो बागची और कार्यकारी उप चेयरमैन एवं मुख्य परिचालन अधिकारी पार्थसारथी एन. एस. इत्यादि ने संयुक्त तौर पर एक बयान में कहा कि यह अधिग्रहण पिछले 20 साल में कड़ी मेहनत से खड़े किए गए माइंडट्री के लिए ‘गंभीर खतरा’ है। प्रवर्तकों ने अधिग्रहण की इस जबरन कोशिश का ‘विरोध’ किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस लेनदेन में हमें कोई रणनीतिक लाभ नहीं दिखता, बल्कि यह कंपनी के मूल्य में गिरावट लाएगा जिससे सभी शेयरधारक प्रभावित होंगे।’’ 

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