Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Aug, 2024 03:46 PM
यदि खनन करों पर उच्चतम न्यायालय की समीक्षा से कोई अनुकूल परिणाम नहीं निकलता है या कंपनी अपने ग्राहकों से कर नहीं वसूल पाती है, तो कोल इंडिया का वित्तीय प्रभाव ‘सबसे खराब स्थिति' में 35,000 करोड़ रुपए तक हो सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को...
कोलकाताः यदि खनन करों पर उच्चतम न्यायालय की समीक्षा से कोई अनुकूल परिणाम नहीं निकलता है या कंपनी अपने ग्राहकों से कर नहीं वसूल पाती है, तो कोल इंडिया का वित्तीय प्रभाव ‘सबसे खराब स्थिति' में 35,000 करोड़ रुपए तक हो सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह बात कही। खनन कंपनी अपने खातों में किसी भी प्रावधान पर विचार करने से पहले चीजें स्पष्ट होने का इंतजार करेगी।
कोल इंडिया के चेयरमैन पी एम प्रसाद ने कहा, “दो अनुषंगी कंपनियां- महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड प्रभावित हो रही हैं, जबकि शेष अनुषंगी कंपनियां प्रभावित नहीं हैं। ओडिशा में महानदी कोलफील्ड्स सबसे अधिक प्रभावित है। सबसे खराब स्थिति में, अगर हम दीर्घकालिक ईंधन आपूर्ति समझौतों (एफएसए) के ग्राहकों से वसूली नहीं कर पाते हैं, तो हमारा प्रभाव लगभग 35,000 करोड़ रुपए हो सकता है।”
भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि झारखंड में सेंट्रल कोलफील्ड्स को लगभग 350 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। उन्होंने कहा, “हालांकि, हमें उम्मीद है कि हम कम से कम 75-80 प्रतिशत राशि वसूल लेंगे, क्योंकि ये सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी सरकारी बिजली उत्पादन कंपनियां हैं, जिनके पास एफएसए हैं। तब हमारा अंतिम शुद्ध प्रभाव 6,500-7,000 करोड़ रुपए हो सकता है।” शीर्ष अदालत ने हाल ही में राज्यों को अप्रैल, 2005 से केंद्र और खनन कंपनियों से खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर रॉयल्टी वसूलने की अनुमति दे दी है।
प्रसाद ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ इस फैसले की समीक्षा कर सकती है। वर्तमान निर्णय के अनुसार, कर की मांग एक अप्रैल, 2026 से शुरू होकर 12 वर्ष की अवधि में किस्तों में की जाएगी। हालांकि, कोल इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी किसी भी प्रावधान पर विचार करने से पहले अंतिम तौर पर चीजें स्पष्ट होने का इंतजार करेगी।