Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Jul, 2019 03:27 PM
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को करीब-करीब 50 दिन पूरे हो चुके हैं। शेयर बाजार के लिहाज से ये 50 दिन कुछ मीठे और ज्यादातर खट्टे ही साबित हुए हैं। इसका कारण ये है कि मार्केट एक्सपर्ट पिछले साल अक्टूबर नवंबर में प्रिडिक्ट कर रहे थे कि अगर देश...
बिजनेस डेस्कः नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को करीब-करीब 50 दिन पूरे हो चुके हैं। शेयर बाजार के लिहाज से ये 50 दिन कुछ मीठे और ज्यादातर खट्टे ही साबित हुए हैं। इसका कारण ये है कि मार्केट एक्सपर्ट पिछले साल अक्टूबर नवंबर में प्रिडिक्ट कर रहे थे कि अगर देश में मोदी सरकार रिपीट होती है तो सेंसेक्स 44 हजार अंकों को पार कर जाएगा। सेंसेक्स के नंबर्स कुछ और बयां कर रहे हैं। मौजूदा समय में सेंसेक्स 38000 के लेवल पर दम तोड़ चुका है। मार्केट कैप के लिहाज से देखें तो निवेशकों को 9 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इन 50 दिनों में बैंकिंग से लेकर ऑटो और कैपिटल गुड्स सेक्टर तक सब धराशायी हो चुके हैं।
निवेशकों का डूबा 9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा
शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी में काफी गिरावट देखने को मिली है। वहीं 50 दिनों का ट्रैक देखें तो सेंसेक्स में 29 मई से 19 जुलाई तक 1165 अंकों की गिरावट आ चुकी है। यही हाल कुछ निफ्टी का भी देखने को मिला है। निफ्टी 50 समान अवधि में 442 अंक नीचे आ चुके है। निवेशकों के नुकसान की बात करें तो बीएसई मार्केट कैप के लिहाज से बड़ा नुकसान है। 29 मई को बीएसई का मार्केट कैप 1,54,58,305.78 करोड़ रुपए था। जबकि 19 जुलाई को सेंसेक्स गिरा तो मार्केट कैप 1,45,38,709.12 पर था यानि दोनों दिनों के अंतर को देखा जाए तो 9.19 लाख करोड़ रुपए का है। जो इंवेस्टर्स का नुकसान है। खास बात ये है 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान सिर्फ 19 जुलाई का ही है।
50 दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी की स्थिति
दिनांक |
सेंसेक्स (अंकों में) |
निफ्टी (अंकों में) |
BSE मार्केट कैप (करोड़ रुपए में) |
23 मई |
39,502.05 |
11,861.10 |
1,54,58,305.78 |
19 जुलाई |
38,337.01 |
11,419.25 |
1,45,38,709.12 |
गिरावट |
1165 |
442 |
9.19 लाख |
बैंकिंग, ऑटो और कैपिटल गुड्स सब सेक्टर धड़ाम
अगर सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो 50 दिनों के लिहाज से सभी सेक्टर धराशायी हैं। बैंक निफ्टी 29 मई से 19 जुलाई तक 1525 अंक नीचे जा चुका है। वहीं बैंक एक्सचेंज 1722.32 अंक लुढ़का है। सबसे ज्यादा नुकसान ऑटो सेक्टर को हुआ है। ऑटो सेक्टर को समान अवधि में 2428 अंकों की पटखनी खानी पड़ी है। कैपिटल गुड्स सेक्टर में 1881.65 अंकों की बिकवाली हुई और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 1685 अंकों की गिरावट पर रहा। इसके अलावा फार्मा और मेटल क्रमश: 540.16 और 675 अंकों की गिरावट पर आ चुके हैं।
50 दिनों में सेक्टर्स में गिरावट
सेक्टर्स |
29 मई की क्लोजिंग (अंकों में) |
19 जुलाई की क्लोजिंग (अंकों में) |
गिरावट (अंकों में) |
बैंक निफ्टी |
31295 |
29,770.35 |
1525 |
बीएसई ऑटो |
18689.50 |
16261.50 |
2428 |
बैंक एक्स |
35186.36 |
33,464.04 |
1722.32 |
ऑयल एवं गैस |
15469.96 |
13,905.95 |
1564.01 |
फार्मा |
13312.60 |
12,772.44 |
540.16 |
मेटल |
10,914.50 |
10,239.65 |
675 |
कैपिटल गुड्स |
19,908.57 |
18026.92 |
1881.65 |
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स |
24,612.90 |
22927.82 |
1685 |
एफएमसीजी |
11,629.24 |
11087.43 |
541.81 |
44 हजार रुपए का सपना धराशाई
मार्केट एक्सपर्ट और तमाम जानकारों ने प्रिडिक्ट किया था कि अगर देश में मोदी सरकार एक बार फिर से मैजोरिटी के साथ आती है तो जुलाई 2019 तक सेंसेक्स 44 हजार को पार कर सकता है। यहां तक निफ्टी 50 के 15 हजार के पार होने का अनुमान लगाया गया था। मौजूदा स्थिति किसी से छिपी नहीं है। शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी 60 दिनों के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। जानकारों की मानें तो सेंसेक्स और निफ्टी दोनों उबरने में थोड़ा वक्त लग सकता है। क्योंकि कई सेक्टर्स गिरावट पर हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में भी काफी निराशा छाई हुई है। ऐसे में सेंसेक्स और अपने पीक पर पहुंचने वक्त लग सकता है।