शहरी गरीबों के लिए यह नई स्कीम लाएगी मोदी सरकार!

Edited By ,Updated: 09 Mar, 2017 01:33 PM

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मोदी सरकार अर्बन पूअर यानी शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए नई स्कीम लाने जा रही है...

नई दिल्लीः मोदी सरकार अर्बन पूअर यानी शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए नई स्कीम लाने जा रही है जिसके तहत फ्लैट, कमरे का किराया सरकार चुकाएगी। केंद्र सरकार 100 स्मार्ट सिटीज में जल्द ही 2700 करोड़ रुपए की नई कल्याणकारी योजना की शुरुआत करने जा रही है। इस योजना में शहरी गरीबों को घर का किराया चुकाने के लिए वाउचर्स दिए जाएंगे। स्मार्ट सिटीज में गरीबों का किराया देने वाली पॉलिसी पर वैसे तो तीन साल से काम चल रहा है, लेकिन इसका पहला कंपोनेंट वित्त वर्ष 2017-18 में लागू किया जा सकता है। स्मार्ट सिटीज में स्कीम को शुरू करने पर हर साल 2,713 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है।

बांटे जाएंगे रेंट वाउचर्स
इस स्कीम के तहत मजदूरी करने के लिए आने वाले लोगों को मदद मिलेगी। रेंट वाउचर्स को शहरी संस्था की मदद से गरीबों में बांटा जाएगा। किराएदार इन वाउचर्स को मकान मालिक को देंगे, जो उसे किसी सिटीजन सर्विस ब्यूरो से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा सकेंगे। अगर रेंट वाउचर की वैल्यू से अधिक होता है तो किराएदार को उसका भुगतान अपनी जेब से करना होगा। रेंट वाउचर की वैल्यू शहर और कमरे के साइज के हिसाब से संस्था तय करेगी।

तलाशी जा रही है डीबीटी की संभावना
सरकार इस वाउचर स्कीम के लिए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की संभावना भी तलाश रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, शहरों में करीब 27.5 प्रतिशत आबादी किराए के घरों में रहती है। हालांकि, नैशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के आंकड़ों के मुताबिक 2009 में शहरों में 35 प्रतिशत लोग किराए के घरों में रहते हैं। इसके अलावा, एनएसएस से यह बात भी सामने आई थी कि यह रेशियो 1991 के बाद से इतना ही बना हुआ है।

जब्त हुई बेनामी प्रॉपर्टी का होगा इस्तेमाल
केंद्र जब्त की गई बेनामी प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किफायती घर बनाने के लिए करेगी। इससे घरों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, 'हाल में बेनामी प्रॉपर्टीज ऐक्ट को लागू किया गया है। इससे रेंटल हाउजिंग के लिए एक और रास्ता खुल गया है। इन रूल्स में एक ऐसी शर्त डाली जा सकती है कि जो घर केंद्र सरकार जब्त करेगी, उन्हें नीलाम नहीं किया जाएगा बल्कि उन्हें राज्य सरकारों के जरिये केंद्र मिडल इनकम ग्रुप (एमआईजी), लो इनकम ग्रुप (एलआईजी) और गरीबों को रेंटल हाउजिंग के लिए दे सकता है।' यह फैसला प्रॉपर्टी की लोकेशन और योग्यता के आधार पर लिया जाएगा।

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