तेल का अत्याचार, मोदी सरकार लाचार

Edited By Supreet Kaur,Updated: 12 Sep, 2018 03:49 PM

modi government is helpless with rising oil prices

मंगलवार को महाराष्ट्र के परभणी शहर में तेल की कीमत 90.02 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई। विपक्ष ने तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भारत बंद का आयोजन किया था। देश भर में बंद का असर भी दिखा। बंद के दौरान कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी भी दिल्ली में सड़क पर...

नई दिल्लीः मंगलवार को महाराष्ट्र के परभणी शहर में तेल की कीमत 90.02 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई। विपक्ष ने तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भारत बंद का आयोजन किया था। देश भर में बंद का असर भी दिखा। बंद के दौरान कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी भी दिल्ली में सड़क पर उतरे। राहुल ने तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर मोदी सरकार को जमकर निशाने पर लिया। राहुल ने कहा कि मोदी पर 2014 में लोगों ने भरोसा किया था, पर अब चीजें साफ हो गई हैं। पूरे देश में मोदी घूमते थे और पेट्रोल-डीजल की महंगाई की बात करते थे। आज कीमतें आसमान छू रही हैं तो मोदी चुप हैं। तेल का आम जनता पर अत्याचार हो रहा है और मोदी सरकार लाचार है।

कांग्रेस के जवाब में केन्द्र सरकार के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कारणों से बढ़ रही हैं और सरकार इस पर कुछ नहीं कर सकती है। अगर पेट्रोल की कीमत 90 रुपए प्रति लीटर है तो इसमें आधा सरकार की तरफ से लगाए जाने वाले टैक्स हैं। इसमें केन्द्र सरकार उत्पाद शुल्क लगाती है तो राज्य सरकारें वैट लगाती हैं।

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ रही कच्चे तेल की कीमत
हर साल भारत में कच्चे तेल की जितनी खपत है, उसका 80 प्रतिशत से ज़्यादा हम आयात करते हैं। यह भी सच है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही भारतीय मुद्रा रुपया अमरीकी मुद्रा डॉलर की तुलना में लगातार कमजोर हो रहा है। मतलब हम तेल के आयात पर जो पैसे खर्च करते हैं, वे ज़्यादा करने पड़ रहे हैं। जाहिर है, इसका असर देश की घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।

सरकारें तेल बेचकर कमाती हैं राजस्व
दूसरी सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने तेल की कीमतें तब भी कम नहीं की, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल थी। भारत की सभी सरकारें तेल बेचकर राजस्व कमाती रही हैं। मतलब राजस्व का बड़ा हिस्सा सरकार टैक्स लगाकर जुटाती रही है। तेल पर केन्द्र सरकार 30 से 40 प्रतिशत उत्पादन शुल्क लगाती है। अगर केन्द्र सरकार उत्पादन शुल्क में प्रति लीटर 2 रुपए की कटौती कर देती है तो सरकार के राजस्व कलेक्शन में 28 से 30,000 करोड़ रुपए की कमी आएगी।

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जब कीमतें कम थीं तब भारतीयों को क्यों नहीं मिला फायदा
जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल थी। 8 महीने बाद जनवरी 2015 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एकदम से गिरकर 25 डॉलर प्रति बैरल हो गई। इसके बाद तेल की कीमत धीरे-धीरे बढ़ी और आज 72 से 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हो गई है। सवाल यह उठ रहा है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम थी, तब भारतीयों को इसका फायदा क्यों नहीं दिया गया? इसका पूरा फायदा भारत सरकार ने अपनी झोली भरने में उठाया।

मोदी सरकार ने राजस्व में जुटाया 10 लाख करोड़ रुपया
केन्द्र की मोदी सरकार ने इन तीन-साढ़े तीन सालों में अपने राजस्व में 10 लाख करोड़ रुपया जुटाया। इसका जो फायदा उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। केन्द्र सरकार राज्यों से टैक्स कम करने को कह रही है, लेकिन खुद नहीं कर रही। केन्द्र और राज्य सरकारों के राजस्व का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स से आता है। मध्य प्रदेश पेट्रोल पर सबसे ज़्यादा 40 प्रतिशत वैट लगाता है। सभी राज्य सरकारों ने पेट्रोल पर 20 प्रतिशत से ज्य़ादा वैट लगा रखा है।

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राज्य सरकारें तेल को जी.एस.टी. के दायरे में लाने को तैयार नहीं 
राज्य सरकारें तेल को जी.एस.टी. के दायरे में लाने को तैयार नहीं हैं। जी.एस.टी. की अधिकतम दर 28 प्रतिशत है और इसमें राज्यों का शेयर 14 प्रतिशत होगा। जाहिर है, वैट से मिलने वाले राजस्व में भारी कमी आएगी, इसीलिए डीजल और पेट्रोल को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम होने का फायदा सरकारें ले रही हैं और ज़्यादा होने की कीमत जनता चुका रही है। सरकार कूटनीति के स्तर पर भी नाकाम दिख रही है।

गडकरी के ‘सॉलिड’ आइडिया से 50 रुपए लीटर बिकेगा डीजल, 55 रुपए पेट्रोल
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘हमारा पेट्रोलियम मंत्रालय देश में 5 इथेनॉल बनाने वाले संयंत्र स्थापित कर रहा है। इथेनॉल को लकड़ी वाले उत्पादों और नगर निगम के कचरे से बनाया जाएगा। डीजल 50 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल का विकल्प 55 रुपए प्रति लीटर के दाम पर उपलब्ध होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम 8 लाख करोड़ रुपए की कीमत का पेट्रोल/डीजल आयात करते हैं। पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है। मैं 15 वर्षों से कह रहा हूं कि किसान और आदिवासी जैव ईंधन बना सकते और हवाई जहाज उड़ा सकते हैं। हमारी नई प्रौद्योगिकी किसानों और आदिवासियों द्वारा बनाए गए इथेनॉल से वाहन चला सकती है।’’ 

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