मोदी सरकार की 'कैशलेस अर्थव्यवस्था' को झटका, रिकॉर्ड पर लोगों के पास नकदी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Jun, 2018 06:28 PM

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देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने के रास्ते पर चले मोदी सरकार को झटका लगा है। देश में इस समय देश में इस समय जनता के हाथ में मुद्रा का स्तर 18.5 लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है जो इसका अब तक अधिकतम स्तर है। यह नोटबंदी के दौर की तुलना में दोगुने...

बिजनेस डेस्कः देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने के रास्ते पर चले मोदी सरकार को झटका लगा है। देश में इस समय देश में इस समय जनता के हाथ में मुद्रा का स्तर 18.5 लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है जो इसका अब तक अधिकतम स्तर है। यह नोटबंदी के दौर की तुलना में दोगुने से अधिक है। नोटबंदी के बाद जनता के हाथ में मुद्रा सिमट कर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपए रह गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।

इस समय चलन में कितनी मुद्रा
आर.बी.आई. के मुताबिक, इस समय चलन में कुल मु्द्रा 19.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक है जबकि नोटबंदी के बाद यह आंकड़ा लगभग 8.9 लाख करोड़ रुपए था। चलन में मौजूद कुल मुद्रा में से बैंकों के पास पड़ी नकदी को घटा देने पर पता चलता है कि चलन में कितनी मुद्रा लोगों के हाथ में पड़ी है।

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उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले देश के विभिन्न हिस्सों में नकदी संकट की खबरें आई थी जबकि इसके विपरीत लोगों के पास बड़ी मात्रा में नकदी मौजूद है। आंकड़ों के मुताबिक, 'जनता के पास मुद्रा' औ 'चलन में मुद्रा' दोनों नोटबंदी के फैसले से पहले के स्तर से अधिक हैं। सरकार के नोटबंदी के फैसले से चलन में मौजूद कुल मुद्रा में मूल्य के हिसाब से 86 प्रतिशत मुद्रा अमान्य हो गई थी। 

RBI के आंकड़ों से हुआ खुलासा 
सरकार ने इन पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों के चलन पर 8 नवंबर 2016 को पाबंदी घोषित कर दी थी पर लोगों को अपने पास पड़े बड़े मूल्य के नोटों को बैंकों में जमा करने के लिए समय दिया था। जिसके बाद करीब 99 प्रतिशत मुद्रा बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गई थी। आर.बी.आई. द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के मुताबिक, कुल 15.44 लाख करोड़ रुपए की अमान्य मुद्रा में से 30 जून 2017 तक लोगों ने 15.28 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा बैंकों में जमा करवाई। 

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मई 2018 तक लोगों के पास 18.5 लाख करोड़
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मई 2018 तक लोगों के पास 18.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की मुद्रा थी, जो कि एक वर्ष पहले की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। यह 9 दिसंबर 2016 के आंकड़े 7.8 लाख करोड़ रुपए के दोगुने से अधिक है। नोटबंदी से पहले, लोगों के पास करीब 17 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी।

आंकड़ों के मुताबिक
केंद्रीय बैंक द्वारा जारी 'रिजर्व मुद्रा' आंकड़ों के मुताबिक, एक जून 2018 को 19.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक की मुद्रा चलन में थी। यह एक वर्ष के पहले की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है और 6 जनवरी 2017 के 8.9 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 2 गुने से अधिक है। नोटबंदी के पहले 5 जनवरी 2016 को कुल 17.9 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा चलन में थी।

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मोदी सरकार के आने से पहले लोगों के पास मुद्रा
भारतीय रिजर्व बैंक चलन में मुद्रा के आंकड़े साप्ताहिक आधार पर और जनता के पास मौजूद मुद्रा के आंकड़े 15 दिन में प्रकाशित करता है। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मई 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले लोगों के पास लगभग 13 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी। एक वर्ष में यह बढ़कर 14.5 लाख करोड़ से अधिक और मई 2016 में यह 16.7 लाख करोड़ हो गई। अक्तूबर 2016 में यह 17 लाख करोड़ से अधिक हो गई। 

नोटबंदी के बाद इसमें गिरावट आई। हालांकि फरवरी 2017 में फिर से बढ़कर 10 लाख करोड़ से अधिक और सितंबर 2017 में 15 लाख करोड़ रुपए हो गई। इसी तरह का रुख चलन में मौजूद मुद्रा के मामले में भी देखने को मिला। आर.बी.आई. आपूर्ति की गई कुल मुद्रा को एम 3 के रूप में र्विणत करता है, जो कि 140 लाख करोड़ से अधिक रही, जो कि पिछले वर्ष के स्तर से करीब 11 प्रतिशत अधिक थी। नोटबंदी के दौरान यह आंकड़ा करीब 120 करोड़ और मोदी सरकार के आने से पहले यह 100 करोड़ से कम था।  

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