Edited By rajesh kumar,Updated: 21 Oct, 2020 03:31 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट कमेटी और इकोनॉमिक अफेयर्स की बैठक में चुनिंदा लोन पर ब्याज माफी को लेकर सहमति बन गई है। सूत्रों की मानें तो अभी केंद्र सरकार इसकी घोषणा नहीं करेगी क्योंकि मामल अभी सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट कमेटी और इकोनॉमिक अफेयर्स की बैठक में चुनिंदा लोन पर ब्याज माफी को लेकर सहमति बन गई है। सूत्रों की मानें तो अभी केंद्र सरकार इसकी घोषणा नहीं करेगी क्योंकि मामल अभी सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित है। बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों को राहत देते हुए रिजर्व बैंक की ओर से लोन मोरेटोरियम की पेशकश की गई थी। मार्च से लेकर अगस्त तक लोगों ने लोन मोरेटोरियम योजना का लाभ मिला था। लेकिन बैंक अब बकाया राशि पर अतिरिक्त ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं। लोगों की शिकायत के बाद यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
बैठक में क्या हुआ
सूत्रों के मुताबिक सीसीईए की बैठक में आज लोन पर ब्याज माफी की मंजूरी मिल गई है। केवल चुनिंदा लोन पर ही ब्याज माफी को मंजूरी मिली है। दो करोड़ रुपए तक के लोन लेने वाले लोगों को इसका फायदा मिलेगा। सरकार ब्याज पर ब्याज का Ex gratia Payment करेगी। 2 करोड़ रु तक के लोन की EMI के ब्याज पर ब्याज माफ करने का प्रस्ताव है।
2 नवंबर तक सर्कुलर जारी करने का आदेश
बता दें कि 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए। इसके लिए केंद्र को एक महीने का वक्त क्यों चाहिए। कोर्ट की ओर से कहा गया कि सरकार अगर इस पर फैसला लेते है तो हम आदेश को पारित कर देंगे। इस पर सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि सभी लोन अलग-अलग तरीके से दिए गए हैं। ऐसे में सभी से अलग-अलग तरीके से निपटना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि ब्याज पर ब्याज माफी की स्कीम को लेकर 2 नवंबर तक सर्कुलर लाया जाए। इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार 2 नवंबर तक ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम को लेकर सर्कुलर जारी कर देगी।
जानें क्या है पूरा मामला
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाया था। जिसके बाद उद्योग धंधे पूरी तरह बंद थे। बंद होने के वजह से कारोबारियों और कंपनियों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो गई थी। कई लोगों की नौकरियां चली गईं और इनके लिए किस्तें चुकाना आसान नहीं था। इसके बाद रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की पेशकश की थी। लोन मोरेटोरियम यानि किस्तें टाल दी गई थी। किसी लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए किस्त नहीं चुकाई तो उस अवधि का ब्याज मूलधन में जुड़ जाएगा। यानी अब मूलधन+ब्याज पर ब्याज लगेगा. इसी ब्याज पर ब्याज का मसला सुप्रीम कोर्ट में है।