Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Feb, 2020 06:25 PM
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार को शुरू हुई। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई दर के बीच आम बजट में राजकोषीय घाटा बढ़ने का अनुमान लगाया...
मुंबईः रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार को शुरू हुई। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई दर के बीच आम बजट में राजकोषीय घाटा बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
हर दो महीने पर प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) की घोषणा करने वाली मौद्रिक नीति समिति को सरकार ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के दायरे के साथ 4 प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी है। खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में 7 प्रतिशत के ऊपर निकल गयी। इसका मुख्य कारण सब्जियों के दाम में तेजी है। हालांकि, इससे पहले कई महीनों तक महंगाई दर संतोष जनक स्तर पर बनी रही थी।
विशेषज्ञों के अनुसार एमपीसी सदस्यों के लिए बड़ी चुनौती है। सुस्ती पड़ती अर्थव्यवस्था के लिए जहां रेपो दर में कटौती का मामला बनता है वहीं खुदरा मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे के बढ़ने से केंद्रीय बैंक के लिए निर्णय करना आसान नहीं है। छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति बृहस्पतिवार को पूर्वाह्न 11.45 मिनट पर जारी की जाएगी। सरकार ने खपत मांग कम होने के बीच घरेलू और वैश्विक कारकों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले, दिसंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने महंगाई दर में वृद्धि को देखते हुए रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश बजट में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 3.8 प्रतिशत हो जाने का अनुमान रखा है जबकि पूर्व में इसके 3.3 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी।