मोनेट स्टीलः दिवालिया हुई कंपनी को नहीं मिला खरीदार, लटकी कुर्की की तलवार

Edited By Supreet Kaur,Updated: 15 Jun, 2018 11:11 AM

monnet steel company did not get the buyer

दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही मोनेट इस्पात की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। कंपनी के लिए बोली लगाने के आखिरी दिन भी कोई बोलीदाता आगे नहीं आया। जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार सरकार के ऐक्शन का इंतजार करने या डूब चुके लोन को किसी बैड बैंक के...

बिजनेस डेस्कः दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही मोनेट इस्पात की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। कंपनी के लिए बोली लगाने के आखिरी दिन भी कोई बोलीदाता आगे नहीं आया। जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार सरकार के ऐक्शन का इंतजार करने या डूब चुके लोन को किसी बैड बैंक के पास ट्रांसफर करने के विकल्प भी सामने हैं।

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कई बैंकों को पड़ेगा घाटा
रिजॉलूशन प्रफेशनल ने 19 जून को क्रेडिटर्स की कमेटी की बैठक बुलाई है ताकि बोली का एक और राउंड आयोजित करने सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा सके। मोनेट इस्पात को दिए कर्ज पर आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सहित कई बैंकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। मोनेट पावर पर लेंडर्स के 7,652 करोड़ रुपए बकाया हैं। मोनेट पावर स्टील बनाने वाली कंपनी मोनेट इस्पात की 88 फीसदी सब्सिडियरी है। मोनेट पावर को बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक और देना बैंक ने भी कर्ज दिया है।

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Jsw ने दिया था खरीदने का ऑफर
दो साल पहले जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने मोनेट पावर को खरीदने का ऑफर दिया था, जब लागत बढ़ने के कारण पावर कंपनी मुश्किल में फंसती दिखी थी। हालांकि डील नहीं हो सकी क्योंकि कुछ लेंडर्स अपनी बकाया रकम का कुछ हिस्सा छोड़ने को राजी नहीं थे। बता दें कि मोनेट अभी 10 लाख टन सालाना कैपेसिटी पर काम कर रही है, जबकि जेएसडब्ल्यू की योजना इसे बढ़ाकर कुछ साल में 25 लाख टन तक ले जाने की है।

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