800 से ज्यादा डिफाल्टरों पर कसेगा CBI का शिकंजा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 12:11 PM

more than 800 defaulters will be screwed by cbi

करोड़ों रुपए के पी.एन.बी. फ्रॉड का मामला सामने आने के बाद सरकार जिस तरह से तेजी में आई है उसे देखते हुए 800 से ज्यादा बड़े लोन डिफाल्टर पर सी.बी.आई. शिकंजा कस सकता है। ये ऐसे डिफाल्ट हैं जो 50 करोड़ रुपए से ज्यादा हैं। ऐसे में बैंक सी.बी.आई. को इस...

नई दिल्लीः करोड़ों रुपए के पी.एन.बी. फ्रॉड का मामला सामने आने के बाद सरकार जिस तरह से तेजी में आई है उसे देखते हुए 800 से ज्यादा बड़े लोन डिफाल्टर पर सी.बी.आई. शिकंजा कस सकता है। ये ऐसे डिफाल्ट हैं जो 50 करोड़ रुपए से ज्यादा हैं। ऐसे में बैंक सी.बी.आई. को इस महीने इन डिफाल्टर्स की लिस्ट सौंप सकते हैं। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने बैंकों को निर्देश दे रखा है कि वे 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के एन.पी.ए. (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) की जांच 15 दिन में कर उसकी डिटेल सी.बी.आई. को दें।

बैंकिंग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देश के जो बड़े डिफाल्टर्स हैं उनमें 800 से ज्यादा ऐसे हैं जिन पर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का डिफाल्ट है। इसमें सबसे ज्यादा डिफाल्टर्स पब्लिक सैक्टर बैंकों के हैं। ऐसे में वित्त मंत्रालय के जो हालिया निर्देश हैं, उनमें ऐसे डिफाल्टर्स पर सी.बी.आई. का शिकंजा तेजी से कस सकता है। मंत्रालय ने साफ तौर पर बैंकों को कहा है कि वे 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के डिफाल्टर की जांच 15 दिन में कर सी.बी.आई. को सौंपें।

सरकार को ऐसे डिफाल्टर्स का देश से भागने का डर
जिस तरह से विजय माल्या, नीरव मोदी व मेहुल चोकसी विदेश भाग गए हैं उसे देखते हुए सरकार को इस बात का डर है कि दूसरे डिफाल्टर्स भी ऐसा कर सकते हैं। सरकार इन पर कानूनी शिकंजा कसना चाहती है। कैबिनेट ने ऐसे डिफाल्टर्स पर लगाम कसने के लिए फ्यूगिटिव इकोनॉमिक ऑफैंडर्स बिल को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद आर्थिक अपराध कर विदेश भागने वाले आरोपियों के खिलाफ कानून बनाना है। प्रस्तावित कानून में विदेश भागे लोगों की संपत्तियां जब्त करने और उन्हें फटाफट बेचने को आसान बनाया जाएगा।

डिफाल्टर्स की प्रॉपर्टी जब्त करना होगा आसान
नए बिल के कानून बन जाने के बाद आरोपी की संपत्ति को जब्त और सेल करना आसान हो जाएगा तथा स्पैशल कोर्ट के माध्यम से कार्पोरेट डिफाल्टर्स के भागने के बाद जल्द से जल्द रिकवरी हो जाएगी। बैंकों के डूबते कर्ज का आलम यह है कि अकेले 7.5 लाख करोड़ रुपए का एन.पी.ए. पब्लिक सैक्टर बैंकों का हो चुका है जो सितम्बर, 2017 के आंकड़ों के आधार पर है। इसकी वजह से न केवल बैंकों की सेहत बिगड़ी है बल्कि उनके कर्ज देने की क्षमता पर भी नैगेटिव इम्पैक्ट हुआ है। केवल पी.एन.बी. का फ्रॉड आने के बाद निवेशकों के 56 हजार करोड़ रुपए अकेले शेयर मार्कीट में डूब चुके हैं।

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