अमेरिका की कंगाल कंपनी Revlon को खरीदेंगे मुकेश अंबानी!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Jun, 2022 03:54 PM

mukesh ambani s reliance considering buying out revlon in us

भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी कंगाल हो चुकी अमरीका की दिग्गज कॉस्मैटिक्स कंपनी रेवलॉन पर दांव लगा सकते हैं। रेवलॉन ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन कर दिया है। 90 साल पुरानी यह दिग्गज कंपनी अपना कर्ज नहीं चुका पा रही है। साथ ही सप्लाई चेन और...

नई दिल्लीः भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी कंगाल हो चुकी अमरीका की दिग्गज कॉस्मैटिक्स कंपनी रेवलॉन पर दांव लगा सकते हैं। रेवलॉन ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन कर दिया है। 90 साल पुरानी यह दिग्गज कंपनी अपना कर्ज नहीं चुका पा रही है। साथ ही सप्लाई चेन और महंगाई ने उसकी हालत खस्ता कर दी है। मार्च के मध्य तक कंपनी पर 3.31 अरब डॉलर का कर्ज था। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि रेवलॉन को खरीदने के लिए रिलायंस आगे आ सकती है। रिलायंस ब्यूटी और पर्सनल केयर सैक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है और उसकी इस योजना में रेवलॉन की बड़ी भूमिका हो सकती है।

रेवलॉन पर भारी कर्ज है और कंपनी ने चैप्टर 11 बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया है। इसके तहत कंपनी अपना कामकाज जारी रख सकती है और साथ ही कर्ज चुकाने के लिए योजना बना सकती है। हाल के महीनों में मेकअप प्रोडक्ट्स की मांग में तेजी आई है लेकिन रेवलॉन को दूसरे ब्रांड्स से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लिपस्टिक बनाने वाली इस कंपनी ने अपने बिजनैस को बचाने के लिए कर्जदारों से बात शुरू की थी।

रेवलॉन पर दांव क्यों?
न्यूयॉर्क की इस कंपनी का मालिकाना हक अरबपति कारोबारी रॉन पेरेलमैन की कंपनी मैकएंड्रयूज एंड फोर्ब्स के पास है। रेवलॉन के 15 से ज्यादा ब्रांड हैं जिनमें एलिजाबेथ आर्डेन और एलिजाबेथ टेलर शामिल हैं। करीब 150 देशों में इनकी बिक्री होती है। रेवलॉन की शुरूआत एक नेल पॉलिश से हुई थी। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 5 नवंबर 1985 को रेवलॉन कंपनी 58 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से कुल 2.7 अरब डॉलर में पेंट्री प्राइड कंपनी को बेच दी गई।

टाटा ग्रुप की भी एक बार फिर ब्यूटी बिजनैस में लौटने की योजना
ब्यूटी और फैशन रिटेलर नायका की चमत्कारिक सफलता ने देश के दिग्गज औद्योगिक घरानों का ध्यान ब्यूटी बिजनैस की तरफ खींचा है। टाटा ग्रुप भी एक बार फिर इस बिजनैस में लौटने की योजना बना रहा है। ग्रुप ने 23 साल पहले ही इस बिजनैस को अलविदा कर दिया था लेकिन देश में कॉस्मैटिक्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और साल 2025 तक इसके 20 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। कुछ दशक पहले तक ब्यूटी सैक्टर में टाटा ग्रुप के लैक्मे ब्रांड की तूती बोलती थी लेकिन टाटा ने 1998 में लैक्मे को यूनिलीवर पी.एल.सी. की लोकल यूनिट को बेच दिया था।
 

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