SEBI द्वारा लगाए गए 25 करोड़ के जुर्माने के खिलाफ अपील करेंगे मुकेश अंबानी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Apr, 2021 01:23 PM

mukesh ambani will appeal against sebi penalty

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी दो दशक पुराने कथित शेयर अनियमितता के मामले में बाजार नियामक सेबी द्वारा लगाए गए जुर्माने के खिलाफ अपील करेंगे। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने 1994 में परिवर्तनीय वारंट के साथ

बिजनेस डेस्कः रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी दो दशक पुराने कथित शेयर अनियमितता के मामले में बाजार नियामक सेबी द्वारा लगाए गए जुर्माने के खिलाफ अपील करेंगे। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने 1994 में परिवर्तनीय वारंट के साथ डिबेंचर जारी किए थे और इन वारंट के एवज में 2000 में इक्विटी शेयर आवंटित किए। यह मामला उस समय का है जब धीरुभाई अंबानी रिलायंस का नेतृत्व कर रहे थे। तब रिलायंस समूह का बंटवारा नहीं हुआ था।

आरआईएल ने शेयर बाजार में दायर जानकारी में कहा, 'सेबी ने इस मामले में फरवरी 2011 में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यह नोटिस उस समय के प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह को शेयरों के अधिग्रहण के 11 साल बाद जारी किया गया। इसमें सेबी के अधिग्रहण नियमन का उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाया गया।'

कंपनी के प्रवर्तकों पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना 
कारण बताओ नोटिस पर अब फैसला किया गया है जो कि शेयर अधिग्रहण के 21 साल बाद आया है। इसमें उस समय के कंपनी के प्रवर्तकों पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। मुकेश और अनिल दोनों भाइयों के अलावा यह जुर्माना नीता अंबानी, टीना अंबानी, केडी अंबानी और परिवार के अन्य लोगों पर लगाया गया है। उसके बाद पिता की मृत्यू के बाद मुकेश और अनिल ने कंपनी का बंटवारा कर लिया है। 

नियामकीय जानकारी नहीं देने पर लगा जुर्माना  
सेबी ने अंबानी बंधुओं और अन्य प्रवर्तक परिवार सदस्यों पर जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना उनके द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज में जनवरी 2000 के इश्यू में अपनी सामूहिक हिस्सेदारी को करीब सात फीसदी बढ़ाते समय नियामकीय जानकारी नहीं देने पर लगाया गया है। दरअसल नियमों के मुताबिक, प्रवर्तक अगर कंपनी में एक वित्त वर्ष में पांच फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी बढ़ाता है तो उसे अल्प शेयर धारकों के लिए ओपन ऑफर लाना होता है, जो रिलायंस नहीं लाया था। सेबी के आदेश के मुताबिक आरआईएल के प्रवर्तकों ने 2000 में तीन करोड़ वारंट के जरिए 6.83 फीसदी हिस्सेदारी का अधिगृहण किया था। 
   
 

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