GST के तहत कई दरें रखना नुकसानदायक: चिदंबरम

Edited By ,Updated: 24 Oct, 2016 06:43 PM

multiple rate gst will be disastrous chidambaram

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर जी.एस.टी. व्यवस्था के तहत कर की कई दरें रखना ‘घातक’ होगा और यह पुराने ‘वैट’ को नए आकार में पेश करने के अलावा और कुछ नहीं होगा।

कोलकाता: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर जी.एस.टी. व्यवस्था के तहत कर की कई दरें रखना ‘घातक’ होगा और यह पुराने ‘वैट’ को नए आकार में पेश करने के अलावा और कुछ नहीं होगा। चिदंबरम ने भारतीय प्रबंधन संस्थान-कलकत्ता के विद्यार्थियाों के साथ आर्थिक सुधारों पर परिचर्चा में कहा, ‘‘हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि मानक के डिजाइन की गलत व्याख्या न हो, जी.एस.टी. की मानक घटा और जमा दर हो। हमारे पास 20 दरें हो सकतीं हैं। यह घातक होगा और यह जी.एस.टी. नहीं हो सकता। यह देश को मूर्ख बनाना है।’’ उन्हाेंने उम्मीद जताई कि इस बारे में बेहतर समझ बनेगी और इसमें दरों की संख्या तीन के आसपास रहेगी।

सरकार का जी.एस.टी. को 1 अप्रैल, 2017 से लागू करने का इरादा है। यह पूछे जाने पर कि कुछ राज्य जी.एस.टी. सुधार के लिए तैयार नहीं हैं, चिदंबरम ने कहा कि जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने वैट लागू किया था, उस समय भी कुछ राज्य शुरूआत में इसमें शामिल नहीं हुए थे। बाद में सभी इसमें शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा कि मानक दर कुछ भी हो, इससे सेवा कर बढ़ेगा। जी.एस.टी. परिषद की पिछले सप्ताह हुई बैठक में उपकर लगाने के मुद्दे पर राज्यों के बीच करीब करीब आम सहमति बन गई थी। हालांकि, कर विशेषज्ञों और उद्योगों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे एक राष्ट्र एक कर का जी.एस.टी. लागू करने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।

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