मोदी सरकार में कामगार पुरुषों की संख्या में आई भारी गिरावट, सरकार छिपा रही आंकड़े

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Mar, 2019 02:16 PM

national male workforce shrinking says labour report that govt buried

केन्द्र की मोदी सरकार रोजगार के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। सत्ता में आने से पहले भाजपा ने हर साल युवाओं को करोड़ो रोजगार देने का ऐलान किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद से सरकार अपना यह वादा पूरा करने में नाकाम रही।

बिजनेस डेस्कः केन्द्र की मोदी सरकार रोजगार के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। सत्ता में आने से पहले भाजपा ने हर साल युवाओं को करोड़ो रोजगार देने का ऐलान किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद से सरकार अपना यह वादा पूरा करने में नाकाम रही। भारत में 1993-94 के बाद पहली बार नौकरीपेशा पुरुषों या कहें कि काम करने वाले पुरुषों की संख्या में कमी आई है।

अब नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पुरुष कामगारों की संख्या घट रही है। साल 2017-18 में NSSO द्वारा किए गए Periodic Labour Force Survey (PLFS) में खुलासा हुआ है कि साल 1993-94 के बाद 2017-18 में पुरुष कामगारों की संख्या में 28.6 करोड़ की गिरावट आई है। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस रिपोर्ट का रिव्यू किया है। साल 1993-94 में यह संख्या 21.9 करोड़ थी, वहीं साल 2011-12 में यह आंकड़ा 30.4 करोड़ था। इस सर्वे से पता चलता है कि पिछले पांच सालों के दौरान देश में रोजगार के बेहद ही कम मौके पैदा हुए हैं।

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सरकार ने जारी नहीं की रिपोर्ट
खास बात ये है कि सरकार ने इस रिपोर्ट को जारी करने से फिलहाल रोक दिया है। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह फैसला किया गया है। उल्लेखनीय है कि सरकार के इस कदम के विरोध में नेशनल स्टेटिकल कमीशन के कार्यवाहक चेयरपर्सन पीसी मोहनन और एक सदस्य जेवी मीनाक्षी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पीसी मोहनन ने बताया था कि सामान्य परिपाटी यह है कि NSSO अपने निष्कर्षों को आयोग के सामने रखता है और एक बार अनुमोदित किए जाने के बाद रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में जारी कर दी जाती है। हमने NSSO सर्वे को दिसंबर (2018) की शुरुआत में स्वीकृति दे दी थी, लेकिन करीब दो महीने गुजर जाने के बाद भी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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इस रिपोर्ट में देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों का अलग-अलग डाटा भी दिया गया है। जिसके मुताबिक शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत रही, वहीं ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 5.8 प्रतिशत है। पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने बताया कि अभी इस डाटा का और अध्ययन किया जाना है, लेकिन यह बात साफ है कि नौकरियों में कमी आयी है और रोजगार के नए मौके भी पैदा नहीं हुए हैं।

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ग्रामीण और शहरी इलाकों में गिरावट
NSSO के डाटा के अनुसार, साल 2011-12 से लेकर साल 2017-18 के बीच देश के ग्रामीण इलाकों में 4.3 करोड़ नौकरियां कम हुईं। वहीं इस दौरान शहरी इलाकों में 40 लाख नौकरियां कम हुई। ग्रामीण इलाकों में महिला रोजगार में 68 प्रतिशत की कमी आई। शहरों में पुरुष कामगारों को रोजगार में 96 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2011-12 से अब तक देश में कुल 4.7 करोड़ रोजगार कम हुए हैं, जो कि सऊदी अरब की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है।

PLFS की रिपोर्ट के अनुसार, तकनीकी शिक्षा पाने वाले कामगारों के प्रतिशत में कमी देखी गई है, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ा है। साल 2011-12 से लेकर 2017-18 तक रोजगार की वोकेशनल/टेक्नीकल ट्रेनिंग पाने वालों की संख्या में 2.2 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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