‘NBCC, सुरक्षा रियल्टी पेशकश को बनाए आकर्षक, 3 दिसंबर तक जमा कराए अंतिम बोली'

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Nov, 2019 11:33 AM

nbcc security realty offering made attractive final bid submitted

कर्ज में फंसी जेपी इंफ्राटेक के कर्जदाताओं ने बृहस्पतिवार को एनबीसीसी लिमिटेड और सुरक्षा रियल्टी से अपनी पेशकश को अधिक आकर्षक बनाने और तीन दिसंबर तक अंतिम बोली जमा करने को कहा। मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा

नई दिल्लीः कर्ज में फंसी जेपी इंफ्राटेक के कर्जदाताओं ने बृहस्पतिवार को एनबीसीसी लिमिटेड और सुरक्षा रियल्टी से अपनी पेशकश को अधिक आकर्षक बनाने और तीन दिसंबर तक अंतिम बोली जमा करने को कहा। मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ऋणदाताओं की समिति ने कंपनियों को बोली संशोधित करने के लिए कहने से पहले एनबीसीसी और सुरक्षा रियल्टी के प्रतिनिधियों से बातचीत की।

बैंक चाहते हैं कि सार्वजनिक कंपनी एनबीसीसी मौजूदा पेशकश की 600 एकड़ से ज्यादा की भूमि और कुछ बेनामी फ्लैट की जगह स्पष्ट मालिकाना हक वाली कुछ और जमीन दे। यह जमीन मुकदमेबाजी में फंसी है। इसके अलावा, वे बिना किसी देनदारी के पूरी यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना का हस्तांतरण चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि मुंबई की सुरक्षा रियल्टी से ऋणदाताओं के अग्रिम भुगतान की राशि को बढ़ाने के लिए कहा गया है। वहीं, घर खरीदारों ने फ्लैट के निर्माण में भारी देरी के लिए एनबीसीसी से क्षतिपूर्ति देने के लिए कहा है। साथ ही सुरक्षा रियल्टी से मुआवजे की राशि को बढ़ाने के लिए कहा गया है। उसने देरी के लिए मुआवजे के रूप में 100 करोड़ रुपए की भूमि निर्धारित की है। 

कर्जदाताओं की समिति की बैठक में शामिल एनबीसीसी और सुरक्षा रियल्टी के अधिकारियों ने कहा कि वित्तीय कर्जदाताओं की मांग पर विचार किया जाएगा। दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में दो कंपनियां एनबीसीसी और सुरक्षा रियल्टी शामिल हैं। शीर्ष न्यायालय के निर्देश के मुताबिक, दोनों कंपनियों ने 17 नवंबर को नई बोलियां जमा की हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, बैंकों ने एनबीसीसी को मुकदमेबाजी वाली 600 एकड़ जमीन और बेनामी फ्लैट की जगह पर विवादरहित मालिकाना हक वाली कुछ और जमीन देने को कहा है। इसके अलावा ऋणदाताओं ने कहा कि उन्हें बिना किसी कर्ज देनदारी के एक्सप्रेसवे का हस्तांतरण किया जाना चाहिए। बैंकों का जेपी इंफ्रा पर करीब 9,800 करोड़ रुपए का बकाया है। इसके निपटान के लिए एनबीसीसी ने 5,000 करोड़ रुपए की 1,426 एकड़ जमीन देने की पेशकश की है। इसके अलावा कंपनी ने जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड के प्रवर्तकों की ओर से गिरवी रखी गई 858 एकड़ भूमि में से भी 75 प्रतिशत बैंकरों को देने की पेशकश की है। इस भूमि पर अब जेपी इंफ्राटेक दावा कर रही है। 

एनबीसीसी बैंकों को बेनामी फ्लैटों यानी बिना दावे वाले फ्लैटों की बिक्री से प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा देने को भी तैयार है। पहले के खरीदार की ओर से किए गए भुगतान और कर / शुल्क से जुड़े खर्च को काटने के बाद यह भुगतान किया जाएगा। साथ ही नोएडा को आगरा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस - वे को भी कर्जदाताओं को हस्तांतरित किया जाएगा लेकिन इससे पहले एनबीसीसी का एक्सप्रेसवे के एवज में 2,500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने का प्रस्ताव है। इससे अगले चार सालों में 20,000 से ज्यादा फ्लैटों के निर्माण को पूरा किया जाएगा। 

बैठक के दौरान, एनबीसीसी के अधिकारियों ने जोर दिया कि कंपनी ने उनकी सारी पुरानी मांगें मान ली हैं। जिसमें 950 एकड़ भूमि को बढ़ाकर 1,426 एकड़ भूमि देना शामिल है। एनबीसीसी का निदेशक मंडल मांग पर चर्चा करने और अपनी समाधान योजना को अंतिम रूप देने के लिए शुक्रवार को बैठक कर सकता है। वहीं , सुरक्षा रीयल्टी ने अपनी बोली में 7,857 करोड़ रुपए की 1,934 एकड़ जमीन देने और अगले तीन साल में निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 2,000 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी लाने का प्रस्ताव किया है। घर खरीदों के प्रतिनिधियों ने मांग की है कि खरीदरों को देरी के लिए मुआवजा राशि मिलनी चाहिए, जिसका जेपी इंफ्राटेक ने वादा किया था। आगे होने वाली देरी के लिए मुआवजा रीयल एस्टेट कानून रेरा के अनुसार होना चाहिए।

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