स्पेक्ट्रम कारोबार करने से पहले बकाया राशि का भुगतान करना जरूरी : डीओटी

Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Aug, 2020 11:47 AM

necessary to pay outstanding amount before spectrum business dot

दूरसंचार विभाग ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि दिशा-निर्देशों के अनुसार स्पेक्ट्रम कारोबार करने से पहले दूरसंचार कंपनियों को एजीआर से संबंधित देय राशि सहित सारी देनदारियों का भुगतान करना चाहिए।

नई दिल्ली: दूरसंचार विभाग ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि दिशा-निर्देशों के अनुसार स्पेक्ट्रम कारोबार करने से पहले दूरसंचार कंपनियों को एजीआर से संबंधित देय राशि सहित सारी देनदारियों का भुगतान करना चाहिए। दूरसंचार विभाग ने न्यायालय को यह भी बताया कि वह इस बकाया राशि को स्पेक्ट्रम बेचने वाले और इसे खरीदने वालों से संयुक्त रूप से या फिर अलग-अलग वसूल सकता है।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को दूरसंचार विभाग की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि बकाया राशि के आकलन की प्रक्रिया जारी है और शीर्ष अदालत द्वारा स्पेक्ट्रम साझा करने के बारे में कानूनी स्थिति स्पष्ट करने के बाद दूरसंचार कंपनियों पर बकाया राशि की वसूली के लिये कदम उठायेगी।दूरसंचार विभाग ने कहा कि रिलायंस जियो और एयरटेल को आरकॉम ओर वीडियोकॉन की बकाया राशि का आंशिक भुगतान की मांग नहीं की गयी है।

पीठ ने इस मुद्दे पर सुनवाई पूरी कर ली कि क्या दिवाला और ऋण अक्षमता संहता के तहत कार्यवाही का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम बेच सकती हैं और उनसे समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया राशि कैसे वसूली जायेगी। पीठ इस पर अपना फैसला बाद में सुनायेगी। शीर्ष अदालत आरकॉम, एयरसेल और वीडियोकॉन के साथ स्पेक्ट्रम साझा करने का समझौता करने वाली जियो और एयरटेल पर अगर कोई बकाया राशि है तो उसके भुगतान के बारे में भी अपनी व्यवस्था देगा।

मामले की सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ से कहा कि दूरसंचार कंपनियों को दो भुगतान करने होते हैं। पहला प्रारंभिक दौर में उस समय जब वे स्पेक्ट्रम की नीलामी में हिस्सा लेती हैं और दूसरा कुछ वर्षों में किश्तों में करना होता है। इससे पहले, आरकॉम के ऋणदाताओं की समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का अधिकार संचार कंपनियों के पास है और संचार कंपनियां चाहें तो इसे बेच सकती हैं।

उन्होंने कहा कि समाधान योजना में कारोबार के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का अधिकार बेचने का प्रस्ताव है और लाइसेंस का समझौता स्पेक्ट्रम को गारंटी के रूप में मान्यता देता है जिनका आईबीसी के तहत मौद्रीकरण किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि दूरसंचार विभाग यह निर्णय कैसे कर सकता है कि कैसे और क्या स्पेक्ट्रम बेचा जा सकता है या नहीं। पीठ ने कहा कि अगर बकाया राशि के खत्म होने का खतरा हो तो दूरसंचार विभाग को स्पेक्ट्रम का लाइसेंस रद्द करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि अगर दूरसंचार कंपनियां एजीआर से सबंधित बकाया राशि का भुगतान करने के लिये तैयार नहीं हैं तो न्यायालय उनके स्पेक्ट्रम आबंटन को रद्द कर देगा। न्यायालय ने कहा कि संचार कंपनियां किसी दूसरे की संपत्ति को किसी देनदारी से मुक्त लेकर एजीआर से संबंधित बकाया राशि को समाप्त नहीं कर सकतीं। साल्वे ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने जियो द्वारा आरकॉम के स्पेक्ट्रम के एक छोटे से हिस्से के उपयोग के लिये एजीआर से संबंधित किसी भी बकाया राशि की मांग नहीं की।

इस पर पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में उसे इस मसले पर कानून प्रतिपादित करना होगा। एयरसेल की ऋणदाताओं की समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां बैंकों के बगैर अपना संचालन नहीं कर सकतीं और अगर आईबीसी के तहत स्पेक्ट्रम की बिक्री की अनुमति नहीं दी गयी तो इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा। पीठ ने टिप्पणी की कि अगर स्पेक्ट्रम का लाइसेंस रद्द कर दिया गया तो इसे दूरसंचार विभाग को सौंपना होगा और बाद में इसकी ऊंची कीमत पर नीलामी हो सकती है।

एयरटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने स्पेक्ट्रम साझा किये जाने के मामले में कंपनी से अभी तक कोई मांग नहीं की है। पीठ ने कहा कि किसी भी तरह की बिक्री का समझौता करने से पहले विक्रेता के लिये सभी लंबित बकाया राशि का भुगतान करना अनिवार्य है और अगर विक्रेता दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपनी देनदारियों का भुगतान नहीं करता है तो बकाया राशि खरीदार पर हस्तांतरित हो जाती है। सिब्बल ने कहा कि दूरसंचार विभाग को इतने लंबे समय तक इंतजार नहीं करना चाहिए था बल्कि काफी पहले ही स्पष्ट कर देना चाहिए था की एयरटेल को वीडियोकॉन की बकाया राशि का भुगतान करना होगा।

साल्वे ने कहा कि उनके मुवक्किल जियो ने स्वत: आकलन के आधार पर स्पेक्ट्रम अधिग्रहीत किये जाने के समय से ही सारे बकाये का भुगतान कर दिया है। न्यायालय ने 21 अगस्त को दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया था कि निजी संचार कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम साझा करने के आधार और इस साझेदारी की जिम्मेदारी के बारे में उसे शनिवार तक अवगत कराया जाये। शीर्ष अदालत ने दूरसंचार विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था जिसमें यह स्पष्ट हो कि लाइसेंस दिये जाने की तारीख से स्पेक्ट्रम का कौन इस्तेमाल कर रहा था और किस तारीख से स्पेक्ट्रम साझा किया गया।

पीठ ने दूरसंचार विभाग से यह भी जानना चाहा था कि आरकॉम के स्पेक्ट्रम का 23 फीसदी इस्तेमाल करने के लिये रिलायंस जियो ने कितनी धनराशि का भुगतान किया। न्यायालय ने 20 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था, ‘घोड़े के लिए भुगतान किये बगैर ही दूरसंचार कंपनियां सवारी कर रही हैं।’ शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस बात से ‘बहुत ही चिंतित है’’ कि एजीआर से संबंधित बकाया लगभग समूची राशि दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता की कार्यवाही में ‘स्वाहा’ हो जायेगी।

न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि क्या एजीआर से संबंधित बकाया जैसी देनदारी दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता के तहत स्पेक्ट्रम बेचने की आड़ में परिसमाप्त हो जायेगी। न्यायालय ने 14 अगस्त को रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस जियो के बीच स्पेक्ट्रम साझा करने के लिये हुये समझौते का विवरण मांगते हुए सवाल किया था कि दूसरी कंपनी के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने वाली कंपनी से सरकार समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया राशि की मांग क्यों नहीं कर सकती है।


 

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