Netflix, Hotstar पर अब नहीं दिखेगा भड़काऊ और आपत्तिजनक कंटेंट, लागू होंगे नए सेंसरशिप नियम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Jan, 2019 04:01 PM

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ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार ने सरकारी सेंसरशिप के बढ़ते दबाव के चलते सेल्फ रेग्युलेशन गाइडलाइन्स बनाने का फैसला किया है। दरअसल, भारतीय सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन के पास इंटरनेट के कंटेंट को सेंसर करने की ताकत नहीं...

बिजनेस डेस्कः ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार ने सरकारी सेंसरशिप के बढ़ते दबाव के चलते सेल्फ रेग्युलेशन गाइडलाइन्स बनाने का फैसला किया है। दरअसल, भारतीय सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन के पास इंटरनेट के कंटेंट को सेंसर करने की ताकत नहीं है। कानून के मुताबिक, ये सर्टीफिकेशन सिर्फ फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए और थियेटर और टीवी पर ट्रेलर दिखाने के लिए चाहिए होता है लेकिन अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी की एक वेबसीरीज़ सैक्रेड गेम्स के बाद ऑनलाइन कटेंट को रेग्युलेट करने की मांग में तेजी आई है।

पिछले साल आई इस वेबसीरीज़ में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बेइज्जती करने के आरोप लगे थे। कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने इस सीरीज़ को लेकर एफआईआर भी दर्ज कराई थी, हालांकि राहुल गांधी के ट्वीट के बाद ये एफआईआर वापस ले ली गई थी। वायलेंस और बोल्ड सीन्स पर भी आपत्ति जताई गई। इस दौरान ये खबरें भी आईं कि सरकार इन प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को सेंसर करने की तैयारी कर रहा है। यूं तो अभी ऐसा नहीं हुआ है लेकिन अब भी सरकारी सेंसरशिप की चिंताएं बनी हुई है। माना जा रहा है कि नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार का सेल्फ रेग्युलेशन का कदम इसी बात को लेकर है।

PunjabKesariक्या है तैयारी?
नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार ने संभावित सरकारी सेंसरशिप को रोकने के लिए ही भारत में अपने कंटेंट के लिए सेल्फ-रेगुलेशन गाइडलाइन्स को अपनाने की योजना बनाई है। इसी को ध्यान में रखते हुए नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, टाइम्स इंटरनेट, इरोज़, ऑल्टबालाजी, जी, अरे, वूट और सोनी जैसी वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने एक कोड साइन किया है जिसका मतलब होगा ये प्लेटफॉर्म्स अपने वीडियो कंटेंट को सेल्फ-रेग्युलेट करेंगी।

PunjabKesariये प्लेटफॉर्म्स अपने ऐसे कंटेंट पर प्रतिबंध लगाएंगे जिसमें बच्चों को यौन गतिविधियों में लिप्त दिखाया गया हो या जिसमें भारत के ध्वज का अपमान किया गया हो या किसी भी सीन में आतंकवाद को प्रमोट करने वाली चीज दिखाई गई हो।  इंटरनेट के जरिए वीडियो कंटेंट डिलीवर करने वाली इंडस्ट्री 2023 तक 5 अरब डॉलर (35,572 करोड़ रुपए) का होने की उम्मीद है।

ग्राहकों के हितों का रखा जाएगा ध्यान
IAMAI ऑनलाइन क्युरेटिड कंटेंट (OCC) प्रोवाईडर्स के लिए नियम बनाती है, जिससे कि ये स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स खुद को एक जिम्मेदार और ट्रांसपेरेंट तरीके से खुद को संचालित करें। इसके साथ ही संस्था इस बात का भी ध्यान रखती है कि लोगों के हितों की रक्षा हो। संस्था का कहना है कि ग्राहकों को age-appropriate कंटेंट चुनने में मदद करना और उनकी शिकायतों का निवारण करना उसका उद्देश्य है। इसके साथ ही IAMAI ने यह भी साफ किया कि कोड इस बात का भी ध्यान रखेगा कि कंटेंट क्रीएटर्स और आर्टिस्ट्स की रचनात्मक आजादी न छिने और लोगों की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की आजादी का भी पालन हो।

PunjabKesariअमेजॉन ने नहीं साइन किया कोड
Amazon Prime नाम से ऑनालाइन स्ट्रीमिंग कंटेंट देने वाली अमेजॉन ने इस कोड पर साइन करने से मना कर दिया है। कंपनी का कहना है कि मौजूदा नियम काफी हैं। Internet Freedom Foundation (IFF) ने कोड पर साइन करने वाले सभी वीडियो प्लेटफॉर्म्स को दोबारा सोचने को कहा है। IFF का कहना है कि टीवी के हिसाब का सेल्फ सेंसरशिप सिस्टम ग्राहकों की पसंद और बोलने की आजादी को प्रभावित करेगा।

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