US के Huawei पर नए प्रतिबंध से दोनों देशों में बढ़ सकती है तल्खी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 May, 2020 06:34 PM

new ban on huawei of us may increase talk in both countries

चीन की हुवावेई टेक्नोलॉजीस पर अमेरिका के नए प्रतिबंधों से चीन का टैक उद्योग खतरे में पड़ सकता है। वहीं इस कदम से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ सकती है जिससे दुनियाभर का टैक उद्योग बाधित होने की आशंका है।

हांगकांगः चीन की हुवावेई टेक्नोलॉजीस पर अमेरिका के नए प्रतिबंधों से चीन का टैक उद्योग खतरे में पड़ सकता है। वहीं इस कदम से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ सकती है जिससे दुनियाभर का टैक उद्योग बाधित होने की आशंका है। हुवावेई दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन और नेटवर्क उपकरण बनाने वाली कंपनी है लेकिन अमेरिका के विदेशी कंपनियों द्वारा अमेरिकी टैक्नोलजी इस्तेमाल पर रोक लगाने से हुवावेई का 123 अरब डॉलर का सालाना कारोबार खतरे में पड़ सकता है।

हुवावेई अमेरिकी टैक्नोलजी का इस्तेमाल कर प्रोसेसर चिप का निर्माण करती है। अमेरिका के इस कदम से बीजिंग के साथ उसकी तल्खी बढ़ सकती है, क्योंकि हुवावेई चीन की न सिर्फ सबसे सफल निजी कंपनी है। बल्कि चीन की सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी इसे टैक्नोलजी क्षेत्र में चीन को वैश्विक प्रतियोगी देश बनाने वाले प्रतिष्ठान के रूप में भी प्रचारित करती है।

हुवावेई को खत्म करना चाहता है अमेरिका
चीन के समाचार पत्र चाइना डेली की रविवार की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘अमेरिका हुवावेई को खत्म करना चाहता है।'' चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को चेतावनी दी कि वह ‘चीन की कंपनी के हितों और विधायी अधिकारों की रक्षा' करेगा। हालांकि चीन ने बदले की कार्रवाई वाले संभावित कदमों की जानकारी नहीं दी। चीन पूर्व में ‘अविश्वसनीय इकाइयों की सूची' जारी करने की धमकी दे चुका है जिनका परिचालन बंद कराया जा सकता है।

हुवावेई पर लड़ाई से अमेरिका और चीन के रिश्ते खराब हो सकते हैं। यह दोनों देशों की वैश्विक टेक्नोलॉजी बाजारों में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर केंद्र में है। दोनों देशों ने व्यापार युद्ध समाप्त करने के लिए एक समझौते पर सहमति बनाई है लेकिन कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत चीन में होने से दोनों देशों के बीच इस समझौते के टूटने की आशंका बढ़ी है। कोरोना वायरस संकट की वजह से पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। हुवावेई ने हालांकि अपने खुद की भी चिप विकसित की है लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माता ताइवान की टीएसएमसी को भी उत्पादन के लिए अमेरिकी सामग्री और उत्पादन उपकरण चाहिए।
 

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