Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 11:52 AM
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने राजधानी में बीएस-6 ईंधन की व्यवस्था को निर्धारित समय से पहले लागू करने की घोषणा कर दी है। अब दिल्ली में बीएस-6 ईंधन से वाहन 2020 की बजाए अप्रैल 2018 से चलेंगे। इस बीच तेल उद्योग से जुड़े...
नई दिल्लीः दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने राजधानी में बीएस-6 ईंधन की व्यवस्था को निर्धारित समय से पहले लागू करने की घोषणा कर दी है। अब दिल्ली में बीएस-6 ईंधन से वाहन 2020 की बजाए अप्रैल 2018 से चलेंगे। इस बीच तेल उद्योग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि बीएस-6 श्रेणी का ईंधन बीएस-4 श्रेणी के ईंधन के मुकाबले प्रति लीटर कम से कम 25 से 30 पैसे महंगा होगा। दिल्ली में स्वच्छ ईंधन की व्यवस्था लागू होने के बाद बीएस-4 और बीएस-6 ईंधन की कीमतें अलग-अलग होने की संभावना है।
रिफाइनरियों को अपग्रेड करने के लिए होगा बड़ा निवेश
बीएस-6 ईंधन के निर्माण के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन अपनी रिफाइनरियों को अपग्रेड करने के लिए 30,000 करोड़ रुपए का निवेश कर रही हैं। इसके कारण बीएस-6 ईंधन महंगा होगा। बीएस-6 श्रेणी के डीजल और पैट्रोल में बीएस-4 के मुकाबले 5 गुना यानी 80 फीसदी कम सल्फर होगा।
बीएस-6 ईंधन 25 से 30 पैसे होगा महंगा
मुंबई के एक विश्लेषक ने कहा, 'डीजल और पैट्रोल की खपत मौजूदा 10 करोड़ टन से बढ़कर 10.9 करोड़ टन हो जाती है तो कंपनियों को जो निवेश करना पड़ेगा, उससे तेल 25 से 30 पैसे महंगा हो जाएगा।' वाहनों के लिए बीएस-6 के उत्सर्जन मानक अप्रैल 2020 से लागू होंगे। इसका मतलब यह है कि दिल्ली में स्वच्छ ईंधन उन वाहनों में इस्तेमाल होगा जो उच्च मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इससे उत्सर्जन के मोर्चे पर सीमित फायदा होगा। कीमतों में संभावित अंतर के बारे में पूछे जाने पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, 'यह विशुद्घ व्यावसायिक फैसला है। इस पर हम पहले कोई टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं।' इससे पहले सरकार ने बीएस-5 के बजाय सीधे बीएस-6 अपनाने का फैसला किया था। अधिकारी ने कहा, 'जब बीएस-3 और बीएस-4 ईंधन साथ-साथ बेचे जा रहे थे तब भी उनकी कीमत अलग-अलग थी। अलबत्ता बीएस-4 को चरणबद्घ तरीके से हटाने की कोई योजना नहीं है। यह 2020 में ही बाजार से बाहर होगा।'