स्विट्जरलैंड के बाद नया टैक्स हैवेन बनता जा रहा दक्षिण कोरिया, 2018 में भारतीयों ने खपाया 61.64 अरब रुपए

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Jul, 2019 06:28 PM

new tax haven after switzerland is becoming south korea

टैक्स के बोझ से बचने के लिए स्विट्जरलैंड एक लंबे समय तक सबसे सुरक्षित जगह माना जाता था। बीते कुछ सालों में भारत सरकार ने इस पर लगाम लगाने का प्रयास किया। वहीं स्विट्जरलैंड सरकार भी भारतीय खाताधारकों से जुड़ी जानकारियां भारत सरकार से सांझा करने के...

नई दिल्लीः टैक्स के बोझ से बचने के लिए स्विट्जरलैंड एक लंबे समय तक सबसे सुरक्षित जगह माना जाता था। बीते कुछ सालों में भारत सरकार ने इस पर लगाम लगाने का प्रयास किया। वहीं स्विट्जरलैंड सरकार भी भारतीय खाताधारकों से जुड़ी जानकारियां भारत सरकार से सांझा करने के लिए राजी हो गई है। इस संबंध में दोनों देशों में कई स्तर पर बातचीत भी चल रही है। स्विस सरकार के इस कदम के बाद भारतीय खाताधारकों के लिए दक्षिण कोरिया टैक्स से बचने के लिए सबसे मुफीद जगह बनता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार भारतीयों ने 2018 में लगभग 61.64 अरब रुपए दक्षिण कोरिया में खपाए हैं।

बैंक ऑफ इंटरनैशनल स्टैंडर्ड (बी.आई.एस.) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 के दौरान भारतीयों द्वारा दक्षिण कोरिया में नॉन-बैंक डिपॉजिट में 900 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। नॉन-बैंकिंग डिपॉजिट में कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत डिपॉजिट शामिल होता है। इसमें अंतर-बैंकिंग लेन-देन शामिल नहीं होता। विदेशों में काले धन पर नरेंद्र मोदी सरकार के बचाव में पूर्व वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने साल 2018 में इसी नॉन-बैंक डिपॉजिट का जिक्र किया था।

बैंक ऑफ इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में भारतीय नागरिकों द्वारा नॉन-बैंक लोन व डिपॉजिट के तौर पर कुल 90.4 करोड़ डॉलर (करीब 61.70 अरब रुपए) जमा किए गए। इसके पहले 2017 में यह आंकड़ा मात्र 10 लाख डॉलर (करीब 68.56 लाख रुपए) था। साल 2014 में जब मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आई थी, तब भारतीयों ने दक्षिण कोरियाई बैंकों में केवल 40 लाख डॉलर (करीब 2.74 अरब रुपए) जमा किए थे। साल 2018 में तुलनात्मक रूप से पूरी दुनिया में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम 9.5 अरब डॉलर (करीब 6.5 खरब रुपए) थी जोकि पिछले साल से एक अरब डॉलर अधिक थी। केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देशों के नागरिकों ने दक्षिण कोरिया में अपनी पूंजी जमा करने में जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई। साल 2017 में दुनियाभर के लोगों ने दक्षिण कोरिया में 19 अरब डॉलर (करीब 13 खरब रुपए) जमा किए थे, जोकि साल 2018 में बढ़कर 37 अरब डॉलर (करीब 25.35 खरब रुपए) रहा।

स्विस बैंक से मोहभंग के बाद इन टैक्स हैवेन का भारतीयों ने किया रुख
स्विस बैंकों में पूंजी निकालने के शुरूआती दौर में भारतीयों ने हांगकांग का भी रुख किया था। हालांकि अब इसमें भी कमी देखने को मिल रही है। साल 2015 में भारतीय नागरिकों ने हांगकांग में नॉन-बैंकिंग डिपॉजिट के तौर पर कुल 1.4 अरब डॉलर जमा किए थे जो साल 2018 में घटकर 60 करोड़ डॉलर रह गए। 2015 में 1.4 अरब डॉलर का यह आंकड़ा बीते 5 साल में सबसे अधिक था। वहीं जर्सी जैसे दूसरे टैक्स हैवेन की बात करें तो यहां भी भारतीय खाताधारकों द्वारा पूंजी जमा करने में कमी आई है।

क्यों है दक्षिण कोरिया भारतीयों की पसंद?
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों भारतीय खाताधारक दक्षिण कोरिया में अपनी पूंजी रखने में इतनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं? साल 2017 में पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरंसी कारोबार में सबसे अधिक तेजी दर्ज की गई थी। कुछ रिपोटर््स के मुताबिक दिसम्बर 2017 तक दक्षिण कोरिया में क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने के लिए लोगों में पागलपन की हद तक जुनून था। इस साल दक्षिण कोरिया की एक तिहाई वर्क फोर्स ने बिटक्वॉइन व इथेरियम समेत अन्य क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया था। हालांकि 2018 की पहली तिमाही में बैंक डिपॉजिट में पहली बार सबसे अधिक तेजी दर्ज की गई।

दक्षिण कोरिया में वर्चुअल करंसी पर शिकंजे के बाद भी भारतीय लोगों ने जमा किया पैसा
इस दौरान दक्षिण कोरियाई बैंक भी अपने ग्राहकों को वर्चुअल करंसी अकाऊंट्स ऑफर कर रहे थे। हालांकि 2018 में क्रिप्टोकरंसी की तेजी में अचानक गिरावट आ गई। यह गिरावट दक्षिण कोरिया फाइनैंशियल सॢवस कमीशन द्वारा वर्चुअल करंसी खातों से संबंधित जांच के बाद आई थी। चौंकाने वाली बात यह रही कि एक तरफ  दक्षिण कोरिया में क्रिप्टोकरंसी में भारी गिरावट देखने को मिल रही थी ठीक उसी दौरान भारतीयों ने दक्षिण कोरियाई बैंकों में तेजी से पैसा जमा किया। जनवरी 2018 से लेकर अप्रैल 2018 के बीच दक्षिण कोरिया में कुल डिपॉजिट 10 लाख डॉलर से बढ़कर 60 करोड़ डॉलर हो गया। अप्रैल से जुलाई के बीच यह आंकड़ा 80 करोड़ के पार जा चुका था। तीसरी तिमाही में स्थिर रहने के बाद सितम्बर से दिसम्बर 2018 के दौरान यह बढ़कर 1 अरब डॉलर के पार जा चुका था।  

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