Edited By ,Updated: 29 Dec, 2016 04:57 PM
9 नवंबर की दोपहर से 2 दिसंबर की मध्य रात्रि तक नोटबंदी के चलते टोल चुकाने में दी गई राहत की वजह से निजी हाईवे ऑपरेटरों को 922 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।
नई दिल्लीः 9 नवंबर की दोपहर से 2 दिसंबर की मध्य रात्रि तक नोटबंदी के चलते टोल चुकाने में दी गई राहत की वजह से निजी हाईवे ऑपरेटरों को 922 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। जानकारी के मुताबिक निजी हाईवेज कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एन.एच.ए.आई. ने इतनी बड़ी रकम देने का फैसला किया है। इसी के तहत एनएचएआई निजी हाईवे ऑपरेटर्स को 922 करोड़ रुपए का भुगतान करेगा।
इस कमेटी से लेनी पड़ेगी मंजूरी
राजमार्ग प्राधिकरण ने अक्टूबर में हुए औसत दैनिक कलेक्शन के आधार पर मुआवजे की राशि तय की है। हालांकि भुगतान से पहले एनएचएआई के इस प्रस्ताव को कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी लेनी होगी। निजी हाईवेज ऑपरेटर्स को हर दिन होने वाले वसूली के आधार पर भुगतान किया जाएगा। इस आधार पर देश के सभी 317 टोल प्लाजाओं को 1,212 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जबकि इसमें से पीपीपी आधारित परियोजनाओं को हुए 922 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई एन.एच.ए.आई. करेगा।
ऑपरेटर को मुआवजे के लिए करना पड़ेगा अथॉरिटी से समझौता
वर्तमान में, कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें यह बताती हैं कि सरकार के फैसले से हुए नुकसान में कितना अंतरिम मुआवजा हर प्रोजेक्ट को दिया जाना चाहिए और एक प्रोजेक्ट की टॉलिंग कब तक बढ़ाई जा सकती है। मगर एन.एच.ए.आई. ने कहा है कि हर एक प्रोजेक्ट के लिए ऐसी जानकारी जुटा पाना भारी चुनौती होगा और ऐसा डर है कि बाद में निजी खिलाड़ी बड़े दावे करते हुए याचिकाएं दायर कर सकते हैं। एन.एच.ए.आई. के अनुसार जो ऑपरेटर एक बार में मुआवजा लेंगे उन्हें अथॉरिटी के साथ एक समझौता साइन करना होगा। इसमें वह घोषणा करेंगे कि भविष्य में किसी तरह का दावा नहीं किया जाएगा, न ही टोल पीरियड बढ़ाने की बात होगी।