अति पिछड़े जिलों की रैंकिंग के लिए संकेतकों को दुरूस्त कर रहा है नीति आयोग: कांत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Sep, 2020 01:58 PM

niti aayog is correcting indicators for ranking of most backward districts kant

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ने सोमवार को कहा कि सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत हर महीने 112 सर्वाधिक पिछड़े जिलों की रैंकिंग में उपयोग किए जा रहे संकेतकों को दुरूस्त कर रहा है।

नई दिल्लीः नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ने सोमवार को कहा कि सरकार के आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत हर महीने 112 सर्वाधिक पिछड़े जिलों की रैंकिंग में उपयोग किए जा रहे संकेतकों को दुरूस्त कर रहा है। डिजिटल तरीके से आयोजित नीति आयोग के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमिताभ कांत ने कहा, ‘‘हम उन संकेतकों को बेहतर परिणाम के लिए दुरूस्त कर रहे हैं जिनके आधार पर नीति आयोग 112 पिछड़े जिलों की रैंकिंग करता है कुछ संकेतकों को हटाने की जरूरत है।'' 

आंकाक्षी जिला कार्यक्रम की शुरूआत 112 जिलों में 2018 में हुई थी। इसका मकसद उन जिलों में विकास को तेज करना है जो मुख्य सामाजिक क्षेत्रों में पीछे रह गए थे और अल्पविकसित क्षेत्र की सूची में शामिल हैं। आयोग छह क्षेत्रों स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचागत सुविधा में 49 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर 112 पिछड़े जिलों की रैंकिंग करता है। 

कांत ने कहा कि भारत के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने में आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इन जिलों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य, शिक्षा और मूल ढांचागत सुविधाओं के बिना उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल नहीं कर सकते।'' 

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