नीति आयोग के सदस्य ने कहा, कृषि ऋण माफी से किसानों के एक वर्ग को ही फायदा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Dec, 2018 03:46 PM

niti member says farm loan waivers benefit only a section of farmers

कृषि कर्ज को माफ करने की मांग के बीच नीति आयोग के सदस्य एवं कृषि नीति विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि वह इस तरह के कर्ज की माफी के पक्ष में नहीं हैं। चंद ने कहा कि कर्ज माफी से किसानों के सिर्फ एक वर्ग को फायदा होता है।

नई दिल्लीः कृषि कर्ज को माफ करने की मांग के बीच नीति आयोग के सदस्य एवं कृषि नीति विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि वह इस तरह के कर्ज की माफी के पक्ष में नहीं हैं। चंद ने कहा कि कर्ज माफी से किसानों के सिर्फ एक वर्ग को फायदा होता है। देश में हाल के दिनों में किसानों के कई आंदोलन देखने को मिले हैं। किसान कर्ज माफ करने से लेकर चीनी मिलों द्वारा बकाए के भुगतान और फसलों के लिए ऊंचे मूल्य की मांग कर रहे हैं।

चंद ने कहा, ‘‘कर्ज माफी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे किसानों के एक छोटे वर्ग को ही फायदा होता है। मैं कर्ज माफ करने के पक्ष में कतई नहीं हूं।’’ चंद पिछले 15 साल से नीति निर्माण से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादा गरीब राज्यों में सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिलता है। ऐसे राज्यों में सीमित संख्या में ही किसानों को संस्थागत ऋण मिलता है।

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के बारे में पूछे जाने पर चंद ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार ने आयोग की ज्यादातर सिफारिशों को क्रियान्वित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता क्यों की ज्यादा वृद्धि से समाज के एक बड़े वर्ग के लिए खद्यान्न खरीदना मुश्किल हो जाएगा।

स्वामीनाथन समिति ने एमएसपी को सी 2 (उत्पादन लागत में जमीन का लगान और स्थायी पूंजी पर ब्याज को मिला कर) जमा 50 प्रतिशत के हिसाब से तय करने का सुझाव दिया है, जबकि सरकार ने इसके लिए ए2 प्लस एफएल (वास्तविक लागत तथा परिवार का श्रम) और ए2 जमा एफएल के ऊपर 50 प्रतिशत को अपनाया है।

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