Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 May, 2021 06:21 PM
सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार एक बार फिर गर्म है और इस बार 5जी तकनीक अफवाह फैलाने वालों के निशाने पर है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कई भ्रामक संदेश फैलाए जा रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि 5जी मोबाइल टॉवरों की टेस्टिंग से कोरोना...
बिजनेस डेस्कः सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार एक बार फिर गर्म है और इस बार 5जी तकनीक अफवाह फैलाने वालों के निशाने पर है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कई भ्रामक संदेश फैलाए जा रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि 5जी मोबाइल टॉवरों की टेस्टिंग से कोरोना वायरस की दूसरी लहर पैदा हुई है। अफवाहों के चलते दूरसंचार टावरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। अब दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने एक प्रेस बयान में कहा है कि ये संदेश गलत हैं।
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बयान में कहा है कि आम जनता को सूचित किया जाता है कि 5जी तकनीक और कोविड-19 के फैलने में कोई संबंध नहीं है और उनसे अपील की जाती है कि वे इस मामले में गलत सूचनाओं और अफवाहों से भ्रमित न हों। आगे कहा गया है की 5जी तकनीक को कोविड-19 महामारी से जोड़ने के दावे झूठे हैं और इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 5जी नेटवर्क की टेस्टिंग अभी भारत में कहीं भी शुरू नहीं हुई है। ऐसे में यह दावे कि भारत में 5जी ट्रायल्स या नेटवर्क कोरोना वायरस पैदा कर रहे हैं, निराधार और गलत हैं।
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प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि मोबाइल टावरों से नॉन-आयोनाइजिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी निकलती हैं, जो कि बहुत कमजोर होती हैं और मनुष्यों समेत किसी भी जीवित कोशिका को नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं। दूरसंचार विभाग ने रेडियो फ्रीक्वेंसी फील्ड की एक्सपोजर लिमिट के लिए मानक निर्धारित किए हैं, जो इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन (आईसीएनआईआरपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से तय की गई सुरक्षित सीमा से करीब 10 गुना अधिक कठोर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी साफ किया है की वायरस रेडियो तरंगों/मोबाइल नेटवर्क से नहीं फैल सकता है।
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