Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Oct, 2018 05:49 PM
दो चरणों के अथॉन्टिकेशन प्रोसेस में एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के मार्फत दूसरे के बैंक अकाउंट से पैसे की चपत लगाने की जुगत में जुटे लोगों के खिलाफ प्रभावी उपाय माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं
नई दिल्लीः दो चरणों के अथॉन्टिकेशन प्रोसेस में एक वन टाइम पासवर्ड (OTP) को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के मार्फत दूसरे के बैंक अकाउंट से पैसे की चपत लगाने की जुगत में जुटे लोगों के खिलाफ प्रभावी उपाय माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें अपराधियों ने बैंक कस्टमर्स से चालाकी से ओटीपी मांग ली या उनके स्मार्टफोन हैक करके ओटीपी चुरा लिए। अब तो उन्होंने ओटीपी प्राप्त करने का नया तरीका ढूंढ लिया है। वे बैंक जाकर खुद को असली अकाउंट होल्डर बताकर रजिस्टर्ड फोन नंबर ही बदलवा रहे हैं। एक बार नंबर बदल जाने के बाद ओटीपी उनके मोबाइल पर आने लगता है और फिर सैकेंडों में अकाउंट खाली।
दिल्ली के जनकपुरी में अपराधियों ने इसी तरीके को अपनाकर 11.50 लाख रुपए की चपत लगा दी। पुलिस के मुताबिक, 31 अगस्त को दो लोग बैंक आए और किसी दूसरे के बैंक अकाउंट को अपना बताया। उसने कहा कि वह 'अपने' अकाउंट से जुड़े मोबाइल नंबर को बदलना चाहता है और इसके उसने फॉर्म भी भर दिया। जब नया मोबाइल नंबर रजिस्टर हुआ, मोबाइल पर आए ओटीपी के जरिए उस अकाउंट से पैसे निकाल लिए। इन अपराधियों ने पैसे चुराने के बाद इस रकम में से कुछ एक बैंक में 6 अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दी। कुछ पैसे एटीएम से तो कुछ चेक से निकाल लिए। फिर उस नए मोबाइल नंबर को स्विच ऑफ कर दिया गया।
पुलिस ने बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरों की छानबीन की और उन बैंककर्मियों से फर्जीवाड़े के शिकार बैंक खातों की जानकारी ली। एक अपराधी की तलाश झारखंड में हुई। वहीं, बैंककर्मियों की भूमिका की भी जांच हो रही है।
ओटीपी फ्रॉड के लिए बैंकों में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदलवाने का चलन बढ़ रहा है। धोखाधड़ी का दूसरा तरीका यह अपना रहे हैं कि वे मोबाइल ऑपरेटर के पास फर्जी आईडी प्रूफ जमा करके ड्युप्लिकेट सिम ले लेते हैं। मोबाइल ऑपरेटर नया सिम जारी करते ही पुराने सिम को डीऐक्टिवट कर देता है। इस तरह, अपराधी फिर से ड्युप्लिकेट सिम पर ओटीपी मंगाकर अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं।