अर्थव्यवस्था पर नोबेल विजेता बनर्जी का सुझाव, PM किसान योजना में बदलाव करने की दी सलाह

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Oct, 2019 02:15 PM

nobel laureate banerjee s suggestion on economy

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और 2019 के नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर अभिजीत बनर्जी ने सुस्त गति से चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का तरीका बताया है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को उचित कदम नहीं बताया।

नई दिल्लीः प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और 2019 के नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर अभिजीत बनर्जी ने सुस्त गति से चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का तरीका बताया है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को उचित कदम नहीं बताया। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक बनर्जी ने बजाय कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करने के, जनता की की खरीद क्षमता को बढ़ाने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने पीएम किसान योजना में भूमिहीन किसानों को भी शामिल करने और मनरेगा में मिलनी वाली मजदूरी की दर को बढ़ाने की वकालत की है।

डॉक्टर बनर्जी ने कहा, मैं कॉरपोरेट टैक्स में कटौती नहीं करता। हलांकि, इसे अब दोबारा बदलना काफी महंगा साबित होगा लेकिन इस पर कुछ विचार किया जा सकता है। क्योंकि, वित्तीय घाटे पर ज्यादा बोझ है। यह बेहतर होता कि ज्यादा से ज्यादा पैसा पीएम किसान (PM Kisan Scheme) में दिए जाते और NREGA (मनरेगा) की मजदूरी दर में इजाफा किया जाता। इसके जरिए पैसा उन लोगों के हाथ में जाता जो वाकई में इसे खर्च करते।

उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर पहले से ही ढेर सारे कैश पर बैठा हुआ है। वह निवेश इसलिए नहीं कर रहा, क्योंकि उसके पास पैसे नहीं है, बल्कि इसलिए नहीं कर रहा, क्योंकि उसके पास डिमांड नहीं है। डॉक्टर बनर्जी ने कहा कि भारत के पास जीएसटी के ऊचे स्लैब में अधिक आइटम होने चाहिए। क्योंकि, आप सिर्फ आय पर टैक्स बढ़ाकर जीडीपी अनुपात में सुधार नहीं कर सकते हैं। लिहाजा, हायर टैक्स से इकट्ठा पैसों को बड़े विजन वाली स्कीम्स जैसे पीएम किसान योजाना में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

डॉक्टर अभिजीत बनर्जी ने द हिंदू को दिए साक्षात्कार में पीएम किसान योजना में भूमिहीन किसानों को भी शामिल करने की बात कही है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भूमिहीन मजदूरों को इससे बाहर किए जाने का कोई कारण नहीं बनता। खास तौर पर यदि आप इसे सपोर्ट प्राइस के विकल्प के रूप में देखते हैं। इस तर्क को विस्तार देते हुए डॉक्टर बनर्जी कहते हैं, समर्थन मूल्य आंशिक रूप से श्रम की मांग को बढ़ाता है, क्योंकि यह अधिक गेहूं उगाने के लिए अधिक लाभदायक है और इसलिए मैं गेहूं काटने के लिए अधिक लोगों को किराए पर लेता हूं, उन्होंने बताया, अगर मैं उत्पादन के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि को हटाता हूं (पीएम किसान योजना के तहत पैसे देकर), तो यह श्रम की मांग को कम करने वाला होगा। 
 

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