Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Feb, 2019 03:59 PM
भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है। मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के करीब 50 फीसदी सामान्य रहने की संभावना है।
नई दिल्लीः भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है। मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के करीब 50 फीसदी सामान्य रहने की संभावना है। स्काईमेट के मुख्य कार्याधिकारी जतिन सिंह ने कहा, 'अभी जो भविष्यवाणी की गई है, वह जनवरी के अंत तक उपलब्ध मौसम के प्रारूप पर आधारित हैं। हालांकि स्काईमेट और जानकारियां हासिल करने के बाद अप्रैल में इसे अद्यतन करेगी।'
इतनी जल्दी मॉनासून का अनुमान जारी करने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, 'आम तौर पर हमने देखा है कि अप्रैल की शुरुआत में जो भविष्यवाणी की जाती है, वह जनवरी अंत तक के मौसम प्रारूप पर आधारित होती है, ऐसे में हमने सोचा की पहली भविष्यवाणी जारी करने के लिए अप्रैल तक का इंतजार क्यों किया जाए।' सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) अप्रैल के दौरान मॉनसून की पहली भविष्यवाणी करता है। 2019 में सामान्य मॉनसून होने से देश के कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा होगा और इससे फसलों की पैदावर बढ़ सकती है। हालांकि मॉनसूनी बारिश बहुत हद तक समयसीमा, विस्तार और बारिश के वितरण पर निर्भर करता है।
2018 में स्काईमेट ने अप्रैल में मॉनसून की पहली भविष्यवाणी जारी करते हुए उसके सामान्य रहने का अनुमान लगाया था। इसमें कहा गया था कि देश भर में मॉनसूनी बारिश लंबी अवधि की औसत (एलपीए) के करीब 100 फीसदी रह सकती है। भविष्यवाणी में मॉडल त्रुटि के तौर पर 5 फीसदी कम-ज्यादा रहने की बात कही गई थी। हालांकि अगस्त और सितंबर में कम बारिश के अनुमान को देखते हुए बाद में स्काईमेट में मॉनसून के सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की। भारतीय मौसम विभाग ने भी 2018 के अपने पहले अनुमान में मॉनूसन के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की थी।
हालांकि वास्तविक बारिश सामान्य से करीब 9 फीसदी कम रही, जो कम बारिश की श्रेणी से काफी करीब है। लेकिन कम बारिश के बावजूद खरीफ फसल पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। सरकार ने पहले अग्रिम खरीफ उत्पादन के अनुमान में 2018 के खरीफ सत्र में 14.15 करोड़ टन पैदावर होने की बात कही थी, जो 2017 की तुलना में 0.61 फीसदी अधिक थी। मौसम विभाग के अनुसार एलपीए के 90 से 95 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से कम माना जाता है जबकि 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश होने पर मॉनसून सामान्य माना जाता है। एलपीए के 104 से 110 बारिश को सामान्य से अधिक माना जाता है, वहीं 110 फीसदी से ज्यादा अत्यधिक बारिश मानी जाती है।