पेट्रोल-डीजल पर GST ही नहीं, वैट भी होगा लागू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Dec, 2017 10:31 AM

not only gst on petrol and diesel  vat will also be applicable

देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है। जी.एस.टी. परिषद पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के दायरे में लाने के लिए राज्यों के बीच सहमति बनाने की लगातार कोशिशें कर रही है। परिषद राज्यों...

नई दिल्लीः देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है। जी.एस.टी. परिषद पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के दायरे में लाने के लिए राज्यों के बीच सहमति बनाने की लगातार कोशिशें कर रही है। परिषद राज्यों को आश्वस्त कर रही है कि ऐसा होने से उनके राजस्व पर किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। परिषद का प्रस्ताव यह है कि पेट्रोलियम पर 28 फीसदी जी.एस.टी. लगाया जाए।

राज्यों में सहमति बनाने की कोशिश
केंद्र सरकार पेट्रोलियम को जी.एस.टी. में लाने को इच्छुक है और उसे जी.एस.टी. से ऊपर उत्पाद शुल्क लगाने की अनुमति मिल सकती है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि वर्तमान में राज्यों के कुल राजस्व में 40 फीसदी हिस्सेदारी पेट्रोलियम उत्पादों की है। ऐसे में जी.एस.टी. दर से ऊपर कर लगाने या राज्यों और केंद्र को अतिरिक्त कर लगाने की आजादी राज्यों को मिलनी चाहिए।' हालांकि राज्य पेट्रेालियम को जी.एस.टी. में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि उनके कर राजस्व में इसकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। ऐसे में इस पर वैट या जी.एस.टी. के अतिरिक्त अन्य कर लगाने की अनुमति मिलने से राज्यों को राजी किया जा सकता है।

कंपनियों के मुनाफे पर पड़ता है असर
अभी विभिन्न राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर अलग-अलग कर लगता है। महाराष्ट्र में पेट्रोल पर वैट की दर सर्वाधिक 43.74 फीसदी है, वहीं डीजल पर 26.14 फीसदी वैट लगता है। दूसरी ओर निर्धारित केंद्रीय उत्पाद शुल्क भी लगाया जाता है, जो कीमत घटने या बढऩे पर कम या ज्यादा नहीं होता है। क्रूड ऑयल, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमानन ईंधन (एटीएफ) जी.एस.टी. के दायरे से बाहर है। विनिर्मित वस्तुओं पर जी.एस.टी. के तहत कर लगता है लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट लगाया जाता है, जिससे कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं ले पाती हैं और इसकी वजह से उनका मुनाफा प्रभावित होता है। एक अधिकारी ने कहा, 'अगर राज्यों को जी.एस.टी. दर से अतिरिक्त कर लगाने की अनुमति मिलती है तो इससे पेट्रेालियम पर राज्यों को सहमत करना आसान हो सकता है।' 

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