Edited By ,Updated: 07 Apr, 2017 02:14 PM
31 मार्च से पहले व्हीकल्स कंपनियों ने बीएस-3 व्हीकल्स को बेचने के लिए लगातार डिस्काऊंट पेश किए। इस बंपर डिस्काऊंट के दम पर टू-व्हीलर कंपनियों ने अपनी
नई दिल्लीः 31 मार्च से पहले व्हीकल्स कंपनियों ने बीएस-3 व्हीकल्स को बेचने के लिए लगातार डिस्काऊंट पेश किए। इस बंपर डिस्काऊंट के दम पर टू-व्हीलर कंपनियों ने अपनी 90 फीसदी तक की व्हीकल्स बेच दिए लेकिन कमर्शियल व्हीकल्स कंपनियां ऐसा नहीं कर पाई हैं। देश की 3 सबसे बड़ी कमर्शियल व्हीकल्स कंपनियों– महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड की हिस्सेदारी अनसॉल्ड इन्वेंटरी में सबसे ज्यादा है। माना जा रहा है कि करीब 40 हजार से 45 हजार तक अनसॉल्ड कमर्शियल व्हीकल की इन्वेंटरी अब भी मौजूद है।
टाटा मोटर्स को हुआ ज्यादा नुकसान
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के प्रेसिडेंट जॉन के पॉल ने बताया कि बंपर सेल के बावजूद डीलर्स और कंपनियों को अब भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। खासतौर से कमर्शियल व्हीकल्स की इन्वेंटरी सबसे ज्यादा है। इसमें अधिकांश हिस्सा टाटा मोटर्स का है। कमर्शियल व्हीकल इंडस्ट्री में टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड का हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है। अशोक लीलैंड ने डीलर्स ने बीएस-3 व्हीकल्स को वापस लेना शुरू किया है।
महिंद्रा के नहीं बिके 18,000 व्हीकल्स
महिंद्रा एंड महिंद्रा ने बी.एस.ई. को दी जानकारी में कहा है कि बीएस-3 व्हीकल्स की अनसॉल्ड इन्वेंटरी करीब 18,000 है। कंपनी ने कहा कि 30 मार्च और 31 मार्च को दिए गए हैवी डिस्काऊंट की वजह से इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ है।
नहीं बिके 40 हजार से 45 हजार व्हीकल्स
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सिआम) ने जारी आंकड़ों के मुताबिक, कमर्शियल व्हीकल्स की अनसॉल्ड इन्वेंटरी करीब 97,000 यूनिट्स थी जोकि 2 माह की सेल के बराबर है। वहीं, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 40,000 से 45,000 यूनिट्स अनसॉल्ड इन्वेंटरी रह गई है। इसमें अधिकांश वह मॉडल्स है जो कम पॉपुलर हैं और उनकी सप्लाई भी काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन इन्वेंटरी को खत्म करने में 5 से 6 माह का वक्त लग सकता है।
बीएस-3 व्हीकल्स से 2500 करोड़ का नुकसान
क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 31 मार्च 2017 तक कमर्शियल व्हीकल्स की आधी इन्वेंटरी ही खत्म हो पाई है। 31 मार्च तक दिए गए डिस्काऊंट और इंसेंटिव्स की कॉस्ट करीब 1,200 करोड़ रुपए है। वहीं, अनसॉल्ड इन्वेंटरी को डिस्पोज करने की कॉस्ट 1,300 करोड़ रुपए पड़ सकती है।