नोटबंदीः उद्योग जगत के लिए साबित हुई चुनौती

Edited By ,Updated: 30 Dec, 2016 05:42 PM

notbandi proved a challenge for the industry

नोटबंदी की मार से कोई अछूता नहीं बचा है। असंगठित क्षेत्र के उद्योग ज्यादा परेशान हुए तो बड़े उद्योग भी इससे प्रभावित हुए।

नई दिल्लीः नोटबंदी की मार से कोई अछूता नहीं बचा है। असंगठित क्षेत्र के उद्योग ज्यादा परेशान हुए तो बड़े उद्योग भी इससे प्रभावित हुए। हालांकि बड़े औद्योगिक घरानों ने इसे चुनौती के तौर पर लिया और अपने यहां पूरा लेनदेन कैशलेस कर दिया। उद्योग जगत को नई राह दिखाने वाले उद्योगपतियों ने छोटे कारोबारियों को बदले में आर्थिक परिवेश में ढालने के लिए कैशलेस के गुर सीखने की विशेष मुहिम भी चालू की। बैंकों की लाइन और नकदी की समस्या 50 दिनों में भले ही न सुधरी हो लेकिन कारोबारियों की जीवटता ने कारोबार में कुछ सुधार दिखाना शुरू कर दिया है।

सारा कारोबार हुआ ऑनलाइन
कारोबारियों के अनुसार पूरा काम ऑनलाइन शुरू हो गया है। इसके बावजूद पैसे की जरूरत तो पड़ती है। बैंक से दो हजार रुपए का नोट मिलता है जिससे पानी तक नहीं मिल पाता है, विशेषकर मुंबई से बाहर जाने में बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में रहे रत्न एवं आभूषण कारोबार के दिन फिलहाल सुधरने वाले नहीं हैं। आभूषण विक्रेताओं का कारोबार करीब 60 फीसदी ठप पड़ गया है।

गो कैशलेस अभियान चलाया गया 
एक कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अजय कपूर कहते हैं कि हमारी कंपनी अपने सभी भागीदारों का जीवनस्तर सुधारने के लिए प्रतिबद्घ है। नकदी की समस्या से निपटने के लिए हमने गो कैशलेस अभियान चलाया। पिछले 20 दिनों में अंबुजा सीमेंट ने दस लाख से ज्यादा मेसेज और 20 लाख से ज्यादा व्हाट्सएप मेसेज भेजे हैं। इसके अलावा दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के  विभिन्न स्टेशनों से एक शैक्षणिक रेडियो अभियान भी शुरू किया।

ग्रामीण इलाके के लोग हुए ज्यादा प्रभावित 
नोटबंदी के बाद पैदा हुई नकदी की समस्या से सबसे ज्यादा ग्रामीण इलाके के लोग प्रभावित हुए। उन्हें  कैशलेस खरीदारी के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने प्रोत्साहित किया, जिसके परिणामस्वरूप खादी हाटों में बिक्री बढ़ गई। आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना कहते हैं कि नोटबंदी के शुरुआती दिनों में दिक्कतें आईं, बिक्री प्रभावित हुई, भागीदारियों में हताशा दिखी, लेकिन कुछ दिन के बाद स्थिति में सुधार आना शुरू हो गया। 

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