Edited By ,Updated: 20 Nov, 2016 02:31 PM
नोटबंदी के बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। खासतौर से सैकेंड हैंड कारों और टू-व्हीलर मार्कीट को काफी नुकसान हो रहा है।
नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। खासतौर से सैकेंड हैंड कारों और टू-व्हीलर मार्कीट को काफी नुकसान हो रहा है। कई डीलर्स ने कहा है कि जहां कई लोगों ने अपनी खरीदारी के फैसले को टाल दिया है, वहीं चुनिंदा लोग अपने पुराने नोटों को खपाने के लिए कैश देने को तैयार भी हैं। हालांकि, डीलर्स ने पुराने नोटों को लेना बंद कर दिया है। डीलर्स का कहना है कि पुरानी कारों की इन्वेंटरी तक ज्यादा दिन तक नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में कम मार्जिन पर भी स्टॉक क्लियर करना पड़ सकता है।
प्री-ओनड कार डीलर्स का कहना है कि पुराने नोटों को बंद किए जाने से उनका बिजनेस 20 से 30 फीसदी तक गिर गया है। वहीं, यूज्ड टू-व्हीलर डीलर्स का बिजनेस पूरी तरह से ठप पड़ा है।
कम हो सकती है कीमत
डीलर्स का कहना है कि पुरानी कारों की इन्वेंटरी तक ज्यादा दिन तक नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में कम मार्जिन पर भी स्टॉक क्लियर करना पड़ सकता है। साल 2016 खत्म होने जा रहा है ऐसे में सेल में देरी से खरीदारी 2017 में होगी। ऐसे में कार की वैल्यूएशन प्राइस कम हो जाएगी क्योंकि यह 1 साल और पुरानी हो जाएगी।
5 महीने तक दिखेगा असर
डीलर्स का कहना है कि हालत में सुधार आने में करीब 5 महीने का वक्त लगेगा। कई लोगों ने डील फाइनल करने के बाद भी उसे टाल दिया है। नवंबर और दिसंबर में ज्यादा सेल की उम्मीद भी नहीं है। जब तक मार्कीट में नए नोटों की करंसी सर्कूलेशन में नहीं आएगी तब तक स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी।