नोटबैनः कृषि मंडियों में कारोबार हुआ ठप, पंजाब में बासमती खरीद लगभग बंद

Edited By ,Updated: 24 Nov, 2016 12:47 PM

noteban traded in agricultural markets stalled

नोट बंदी के 15 दिन बाद भी कृषि मंडियों के हालात नहीं बदले हैं। देश की बड़ी मंडियों में अब भी न के बराबर ही हो रहा है। कुछ मंडियां ऐसी भी हैं जिनमें कमोडिटी ऑक्शनिंग अब भी शुरू नहीं हो पाई है

नई दिल्लीः नोट बंदी के 15 दिन बाद भी कृषि मंडियों के हालात नहीं बदले हैं। देश की बड़ी मंडियों में अब भी न के बराबर ही हो रहा है। कुछ मंडियां ऐसी भी हैं जिनमें कमोडिटी ऑक्शनिंग अब भी शुरू नहीं हो पाई है। कुल मिलाकर मंडियों में कारोबार सिमटकर सिर्फ 20 फीसदी के आसपास ही रह गया है। कारोबारियों और किसानों का कहना है कि अगर हालात अगले 10 दिन ऐसे ही चलते तो कारोबार लगभग ठप हो जाएगा।

मंडी का कारोबार 10 फीसदी के आसपास
नोट बंदी के फैसले के बाद एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में 11 नवंबर को 5 दिन के लिए नीलामी प्रक्रिया निलंबित कर दी गई थी। गत बुधवार को यहां फिर से नीलामी शुरू हुई तो किसान अपना माल लेकर नहीं आ रहे हैं। प्याज के हाल तो बुरे हैं सब्जियां लेकर भी किसान आने को तैयार नहीं। लासलगांव मंडी के चेयरमैन जयदत्त होलकर बताते हैं कि इस समय मंडी का कारोबार 10 फीसदी के लगभग है। जरूरत भर के लिए ही यहां पर सब्जियां आ रही हैं। इसके अलावा कारोबारी सप्ताह की लिमिट को 50 हजार रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की मांग कर रहे हैं।

दिल्ली की मंडी में कारोबार न के बराबर
उत्तर भारत की बड़ी मंडियों में से एक दिल्ली की आजादपुर मंडी में कारोबार न के बराबर रह गया है। नोट बंदी के बाद यहां के कुछ व्यापारियों ने नीलामी रोकने की मांग उठाई थी। लेकिन, कुछ व्यापारियों ने थोड़ा बहुत काम जारी रखने में ही रजामंदी दिखाई और काम चालू रहने दिया। मर्चेंट एसोसिएशन के प्रधान राजेंद्र शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में कारोबार केवल 20 फीसदी रह गया है। आलू, प्याज और जल्दी न सड़ने वाली कमोडिटी को छोड़कर रोजमर्रा के लिए ताजी सब्जियों की आवक पर बेहद असर पड़ा है। जो किसान सीधे मंडी में माल लेकर आते थे उनका आना न के बराबर ही रह गया है। किसानों को सिर्फ कैश में भुगतान चाहिए जो अभी व्यापारियों के लिए संभव नहीं।

पंजाब में बासमती खरीद लगभग बंद
पंजाब में बासमती खरीद जोरो पर चल रही थी लेकिन, लगातार 14 दिनों से खरीद में गिरावट शुरू हुई और विभिन्न मंडियों में अब लगभग बंद हो गई है। किसानों को गेहूं बुआई के लिए कैश चाहिए लेकिन, व्यापारी दे नहीं पा रहे हैं। मंडियों में किसानों को दो स्थितियां झेलनी पड़ रही हैं। कुछ मंडियों में पुराने नोटों में अगर किसान भुगतान लेते हैं तो उन्हें ज्यादा रकम दी जा रही है। इधर, अगर नए नोटों में भुगतान चाहिए तो उन्हें कीमत से समझौता करना पड़ रहा है। कमोबेश हरियाणा, पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश की बड़ी मंडियों में भी यही हालात हैं।

50 हजार रुपए की लिमिट नाकाफी 
4 दिन पहले सरकार ने एपीएमएसी में रजिस्टर्ड व्यापारियों के लिए सप्ताह में 50 हजार रुपए निकालने की लिमिट रखी थी। लेकिन, व्यापारियों का कहना है कि इस हिसाब से वे 6 दिन के कारोबार में प्रतिदिन लगभग 7500 रुपए ही इस्तेमाल में ला सकते हैं। जबकि, छोटे से छोटे व्यापारी का दिन में लेनदेन 2 लाख रुपए से भी ज्यादा है। आजादपुर मंडी के राजेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां एक व्यापारी सिर्फ सब्जियां ही एक से दो लाख रुपए की खरीद लेता है। ऐसे में 50 हजार रुपए सप्ताह में उसे क्या राहत मिलेगी।
 

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