Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Mar, 2019 01:43 PM
8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कई बोर्ड सदस्य राजी नहीं थे। नोटबंदी को लागू करने से पहले छह महीने तक लगातार सरकार और आरबीआई के बीच काफी मंथन हुआ था।
नई दिल्लीः 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कई बोर्ड सदस्य राजी नहीं थे। नोटबंदी को लागू करने से पहले छह महीने तक लगातार सरकार और आरबीआई के बीच काफी मंथन हुआ था। आरबीआई के निदेशकों ने सरकार को तभी चेता दिया था कि इससे कालेधन पर रोक नहीं लगेगी।
सरकार का था यह तर्क
दरअसल, सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट प्रचलन से बाहर करने के पीछे बड़ा तर्क दिया था कि इससे कालेधन पर नकेल कसेगी। साथ ही नकली मुद्रा पकड़ में आएगी और ई-पेमेंट्स को बढ़ावा मिलेगा। पर जानकारों और आंकड़ों की मानें तो कालेधन पर लगाम लगाने में सरकार का यह निर्णय नाकाफी रहा।
तीन घंटे पहले तक चला था मंथन
आरबीआई के निदेशकों व सरकार के बीच नोटबंदी की घोषणा होने से पहले तीन घंटे तक मंथन हुआ था। इस बैठक में आरबीआई के निदेशकों ने सरकार से कहा था कि ज्यादातर कालाधन नकद न होकर के रियल एस्टेट और सोने में निवेश के तौर पर लगाया गया है। इससे इन पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा।
इसके साथ ही 400 करोड़ रुपए के बड़े नोटों का प्रचलन होने को भी आरबीआई के निदेशकों ने ज्यादा बड़ा नहीं माना था। निदेशकों का तर्क था कि अर्थव्यवस्था के बढ़ने के कारण इतने मूल्य के बड़े नोटों का प्रचलन अच्छा कारक है।
निदेशकों ने दी थी चेतावनी
नोटबंदी से पहले आरबीआई के निदेशकों ने सरकार को चेतावनी दी थी, कि इसको लागू करने से थोड़े समय के लिए देश की विकास दर पर असर पड़ेगा, हालांकि बाद में उन्होंने नोटबंदी को अच्छा बताया था। इन सब तर्कों के बावजूद आरबीआई के बोर्ड ने नोटबंदी को लागू करने की मंजूरी दे दी थी। इसका समर्थन करने का प्रस्ताव आरबीआई के एक डिप्टी गवर्नर ने वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए एक नोट के बाद किया था। इस नोट में सरकार की तरफ से तर्क था कि 2011-12 से लेकर 2015-16 के बीच अर्थव्यवस्था 30 फीसदी की दर से आगे बढ़ी है। हालांकि इस बीच 500 रुपए के नोट में 76 फीसदी और एक हजार रुपए के नोट का प्रचलन 109 फीसदी बढ़ा है। 500 और एक हजार रुपए के नोट का इस्तेमाल बंद करने के लिए नोटबंदी एक जरूरी कदम है।
आरबीआई बोर्ड की इस बैठक में तब के गवर्नर उर्जित पटेल, डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एसएस मूंदड़ा के अलावा अंजुलि छिब दुग्गल, शक्तिकांत दास, नचिकेत मोर, भारत एन दोशी, सुधीर मंकड़ और आरबीआई के मुख्य निदेशक एसके महेश्वरी उपस्थित थे।