Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 11:20 AM
पिछले साल नोटबंदी के बाद सोने के कारोबार में सुधारों की रफ्तार तेज हुई है। पिछले एक वर्ष के दौरान उठाए गए कई कदमों से स्वर्ण आभूषणों के कारोबार को पारदर्शी बनाने में मदद मिली है। बड़े नोटों को वापस लेने की घोषणा होने के तुरंत बाद जिन लोगों के पास...
मुम्बईः पिछले साल नोटबंदी के बाद सोने के कारोबार में सुधारों की रफ्तार तेज हुई है। पिछले एक वर्ष के दौरान उठाए गए कई कदमों से स्वर्ण आभूषणों के कारोबार को पारदर्शी बनाने में मदद मिली है। बड़े नोटों को वापस लेने की घोषणा होने के तुरंत बाद जिन लोगों के पास बड़ी संख्या में ये नोट थे उन्होंने असल कीमत से ज्यादा पर सोने के गहने खरीदे थे।
काले धन को सफेद करने या जमा करने का सोना है बड़ा जरिया
लोगों ने पुराने नोटों से सोना खरीदने के लिए औसतन 40 प्रतिशत से अधिक कीमत चुकाई। हालांकि सरकार ने नोटबंदी के मौके का इस्तेमाल स्वर्ण बाजार में सुधारों के लिए किया। सोना काले धन को सफेद करने या काले धन को जमा करने का बड़ा जरिया है। नोटबंदी के बाद आभूषण कारोबार के लिए हुई घोषणाओं का मकसद आभूषण कारोबार को संगठित बनाना था। इसके अलावा राऊंड ट्रिपिंग या आभूषणों के निर्यात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने के दुरुपयोग पर रोक लगाना था। इसमें सबसे अहम डिजीटल लेन-देन को बढ़ावा देना था।
सोने का आयात 784 टन रहा
नोटबंदी के बाद पिछले 12 महीनों में सोने का आयात 784 टन रहा है। अगर दक्षिण कोरिया से शुल्क मुक्त आयात को भी इसमें जोड़ते हैं तो कुल आयात 816 टन बैठता है, जबकि नवम्बर 2015 से अक्तूबर 2016 तक के 12 महीनों में सोने का आयात 590 टन रहा था। हालांकि सोने की तस्करी कम नहीं हुई है। इसकी वजह यह है कि अब भी सोने के आयात पर 10 प्रतिशत सीमा शुल्क है जिससे तस्करी करना आकर्षक हो जाता है। इसके अलावा खुदरा स्तर पर अब भी नकद सौदे हो रहे हैं। हालांकि थोक कारोबार संगठित बनता जा रहा है।