शहद के लिए नए मानक अधिसूचित, मिलावट पर लगेगी रोक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Aug, 2018 06:28 PM

notified new standards for honey ban on adulteration will stop

शहद में मिलावट पर रोक लगाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इसकी गुणवत्ता के नए मानकों को अधिसूचित किया है। इससे शहद उत्पादक किसानों को अपने उत्पाद की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद मिलेगी।

नई दिल्लीः शहद में मिलावट पर रोक लगाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इसकी गुणवत्ता के नए मानकों को अधिसूचित किया है। इससे शहद उत्पादक किसानों को अपने उत्पाद की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद मिलेगी। भारत के राजपत्र में अधिसूचित नए मानकों के लागू होने से शहद में ‘कॉर्न सीरप’, ‘राइस सीरप’ और ‘इंवर्टेड सीरप’ (गन्ने के सीरे से तैयार होने वाला सीरप) की मिलावट पर प्रभावी रोक लगेगी। ऐसे सीरप के मिलाने से शहद जमता नहीं है।

वर्ष 1955 से अब तक लागू मानकों के तहत शहद में जैव प्रौद्योगिकी की मदद से ऐसे तत्वों को मिलाया जा सकता था और शहद से मिलते जुलते दिखने के कारण इनका आसानी पता नहीं चलता था लेकिन नए अधिसूचित मानकों के तहत अब ऐसी मिलावट नहीं की सकती। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य देवव्रत शर्मा ने बताया, ‘‘नई अधिसूचना से शहद उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य सुनिश्चित होगा जो वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रयासों के अनुरूप है और इससे मधुमक्खीपालक किसानों को काफी लाभ होगा।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘नए मानदंडों की घोषणा करके सरकार ने मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के अपने वायदे को पूरा किया है। इससे शहद में मिलावट करने वालों पर प्रभावी रोक लगेगी।’’ शहद के लिए जो नए मानदंड बने हैं उनमें शहद में आद्रता की मात्रा की सीमा को, जो पहले 25 प्रतिशत थी, घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा इसमें फ्रुकटोज (फलशर्करा) और ग्लूकोज (एफजी) अनुपात के संदर्भ में पहले के अधिनियम में कोई उच्चतम सीमा नहीं थी जिसके कारण शहद में बाहर से फुकटोज की मिलावट कर दी जाती थी जिसके कारण शहद नहीं जमता था। 

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