अब परमानेंट नोटबंदी की तैयारी, संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होगा नया कानून

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 12:30 AM

now preparation of permanent bankruptcy

नोटबंदी और जी.एस.टी. लागू करने के बाद मोदी सरकार बैंकिंग व्यवस्था में एक और कानून बना रही है जिसका व्यापक असर न सिर्फ  बैंकों पर पड़ेगा बल्कि बैंक में बचत खाते में पैसा रखने वाला एक-एक ग्राहक इस कानून के दायरे में रहेगा और इस कानून से उसके लिए एक...

नई दिल्ली: नोटबंदी और जी.एस.टी. लागू करने के बाद मोदी सरकार बैंकिंग व्यवस्था में एक और कानून बना रही है जिसका व्यापक असर न सिर्फ  बैंकों पर पड़ेगा बल्कि बैंक में बचत खाते में पैसा रखने वाला एक-एक ग्राहक इस कानून के दायरे में रहेगा और इस कानून से उसके लिए एक कभी न खत्म होने वाली ‘परमानेंट नोटबंदी’ का नया वित्तीय ढांचा खड़ा हो जाएगा। 

केन्द्र सरकार फाइनैंशियल रैजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरैंस बिल (एफ.आर. डी.आई. बिल) 2017 को जोर-शोर से तैयार कर आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश करने जा रही है। संसद के दोनों सदनों में पुख्ता बहुमत के कारण यह बिल आसानी से पास होकर नया कानून भी बन जाएगा। इससे पहले इस बिल को केन्द्र सरकार ने मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया था और तब इसे ज्वाइंट पार्लियामैंट्री कमेटी के पास सुझाव के लिए भेज दिया गया था। अब एक बार फिर केन्द्र सरकार ज्वाइंट पार्लियामैंट्री कमेटी के सुझावों को देखते हुए नए बिल का प्रस्ताव संसद में पेश करेगी। 

इस कानून से कैसे बदल जाएगा आपका बैंक
केन्द्र सरकार के नए एफ.आर.डी.आई. कानून से एक मौजूदा कानून डिपॉजिट इंश्योरैंस एंड क्रैडिट गारंटी कॉर्पोरेशन खत्म कर दिया जाएगा। मौजूदा समय में अलग-अलग बैंकों में जमा आपके पैसे की गारंटी इसी कानून से मिलती है। इस कानून में एक अहम प्रावधान है कि किसी बैंक के बीमार होने की स्थिति में यदि उसे दिवालिया घोषित किया जाता है तो बैंक के ग्राहकों का एक लाख रुपए तक डिपॉजिट बैंक को वापस करना होगा। लिहाजा इसी कानून से देश की मौजूदा बैंकिंग व्यवस्था सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय मानी जाती है।

क्यों जरूरी है नया कानून
इस नए कानून से दोनों सरकारी और प्राइवेट बैंक, इंश्योरैंस कंपनियां और अन्य वित्तीय संस्थाओं में दिवालियापन की समस्या से निपटने के लिए एक नया ढांचा तैयार किया जाएगा। केन्द्र सरकार का दावा है कि यह कानून देश में बैंकिंग और इन्सॉल्वैंसी कोड, सरकारी बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन प्लान और इंश्योरैंस सैक्टर में विदेशी निवेश की मंजूरी के बाद फाइनैंशियल सैक्टर का एक लैंडमार्क रिफॉर्म होगा। 

नए कानून का सबसे खतरनाक प्रावधान है परमानैंट नोटबंदी
अब बैंकों के एन.पी.ए. की समस्या तीव्र होने पर नया रैजोल्यूशन कार्पोरेशन यह तय करेगा कि बैंक में ग्राहकों के डिपॉजिट किए गए पैसे में ग्राहक कितना पैसा निकाल सकता है और कितना पैसा बैंक को उसका एन.पी.ए. पाटने के लिए दिया जा सकता है। नया कानून आ जाने के बाद केन्द्र सरकार तय करेगी कि आर्थिक संकट के समय में ग्राहकों को कितना पैसा निकालने की छूट दी जाए और उनकी बचत की कितनी रकम के जरिए बैंकों के गंदे कर्ज को पाटने का काम किया जाए।

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