दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर की भी कमान भारतीयों के हाथ

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Mar, 2019 02:39 PM

now the legendary unilever also commands the hands of indians

एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज हिंदुस्तान यूनिलीवर की पैरंट कंपनी यूनिलीवर दुनियाभर में अपने विस्तार के लिए भारतीय टैलंट का जमकर इस्तेमाल कर रही है। हाल में उसने अपने दो वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों को प्रमोट कर उन्हें वैश्विक भूमिकाओं के लिए चुना है।

नई दिल्लीः एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज हिंदुस्तान यूनिलीवर की पैरंट कंपनी यूनिलीवर दुनियाभर में अपने विस्तार के लिए भारतीय टैलंट का जमकर इस्तेमाल कर रही है। हाल में उसने अपने दो वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों को प्रमोट कर उन्हें वैश्विक भूमिकाओं के लिए चुना है। नितिन परांजपे को कंपनी का सीओओ बनाया गया है, जबकि संजीव मेहता को यूनिलीवर के साउथ एशिया का प्रेजिडेंट बनाया गया है। नितिन परांजपे से पहले एक और भारतीय कंपनी के सीओओ पद की बागडोर संभाल चुके हैं, जिनका नाम हरीश मनवानी है। सबसे बड़ी बात यह है कि मनवानी, परांजपे और मेहता तीनों ही हिंदुस्तान यूनिलीवर की बागडोर संभाल चुके हैं। 

कंपनी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि तीन भारतीयों ने यूनिलीवर के शीर्ष नेतृत्व को संभाला है, जिनमें संजीव मेहता, यूनिलीवर की सीएचआरओ लीना नायर और परांजपे शामिल हैं। हालांकि, केवल यही लोग यूनिलीवर के लिए विभिन्न देशों में काम नहीं कर रहे हैं। एचयूएल के पूर्व वाइस प्रेजिडेंट और कार्यकारी निदेशक (पर्सनल केयर) समीर सिंह यूनिलीवर के स्कीन क्लिंजिंग के ग्लोबल एग्जेक्युटिव वाइस प्रेजिडेंट हैं, जबकि बी. वी. प्रदीप वर्तमान में यूनिलीवर के ग्लोबल वाइस प्रेजिडेंट (कंज्यूमर ऐंड मार्केट) हैं। 

विदेशों में कारोबार के विस्तार के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर के भारतीय अधिकारियों का इस्तेमाल पैरंट कंपनी यूनिलीवर लगातार कर रही है। एचयूएल के पूर्व प्रमुख केकी दादीसेठ होम ऐंड पर्सनल केयर (एचपीसी) के निदेशक के तौर पर काम कर चुके हैं। मनवानी यूनिलीवर के पहले भारतीय सीओओ बने, जिसके बाद कंपनी को आठ भौगोलिक क्लस्टर्स में पुनर्गठित किया गया, जिससे भारतीयों के लिए विदेशों में कंपनी का शीर्ष पद संभालने का रास्ता खुल गया। 

यूनिलीवर का भारतीयकरण 
जब से प्रकाश टंडन को हिंदुस्तान लीवर का चेयरमैन नियुक्त किया गया, तब से लेकर अब तक मात्र एक गैर-भारतीय इसका प्रमुख बना। साल 2005 से पहले हिंदुस्तान यूनिलीवर को हिंदुस्तान लीवर के नाम से जाना जाता था। हालांकि, औपचारिक रूप से एचयूएल नाम 2007 में हुआ। यूनिलीवर के लिए अमेरिका के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार होने के मद्देनजर, कंपनी भारतीय टैलेंट का पूरी दुनिया में अपने विस्तार के लिए इस्तेमाल कर रही है। अभी कंपनी में एक ही चीज होनी बाकी है कि अभी कोई भारतीय कंपनी का सीईओ नहीं बन पाया है। 

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