Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 May, 2020 06:14 PM
देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (NPAs) में वित्त वर्ष 2020-21 में दो-चार फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है। इससे सरकार पर 15 अरब डॉलर यानी करीब 1.1 लाख करोड़ रुपए
बिजनेस डेस्कः देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (NPAs) में वित्त वर्ष 2020-21 में दो-चार फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है। इससे सरकार पर 15 अरब डॉलर यानी करीब 1.1 लाख करोड़ रुपए के री-कैपिटलाइजेशन का दबाव बढ़ जाएगा। बैंक ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह बात कही गई है।
राजकोषीय घाटा 2% बढ़ सकता है
बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक पैकेज देने, कम कर संग्रह और विनिवेश में कमी की वजह से सरकार का राजकोषीय घाटा लक्ष्य से दो फीसदी अधिक रह सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी स्थिति में बैंकों में पूंजी डालने के लिए सरकार को अन्य विकल्पों पर विचार करना होगा।
बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों ने कहा है कि सरकार पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड जारी कर सकती है या RBI के भारी भंडार से बैंकों में पूंजी डाल सकती है। विश्लेषकों में इस बात को लेकर लगभग सर्वसम्मति देखने को मिली कि मौजूदा कोविड-19 महामारी की वजह से बैंक के सकल NPA में बढ़ोत्तरी होगी।
कई एनालिस्टों ने जताया है एनपीए बढ़ने का अनुमान
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा है कि NPA में दो-चार फीसदी अंक की बढ़ोत्तरी होने पर सरकार को 7-15 अरब डॉलर की पूंजी डालनी पड़ सकती है। इस रिपोर्ट में कहा है कि रिकैप बॉन्ड पहले से सिद्ध इंस्ट्रूमेंट है, जिससे बैंकों को पहले भी राहत मिल चुकी है। BoA ने कहा है, ''सरकार पीएसयू बैंकों में पूंजी डालेगी और रिकैपिटालइजेशन बॉन्ड्स के जरिए फंड उपलब्ध कराएगी। पीएसयू बैंक इन बॉन्ड्स का निवेश करेंगे।''
रिपोर्ट में विश्लेषकों ने कहा है कि इस पूंजी के इस्तेमाल से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने बैलेंस शीट को दुरुस्त कर सकते हैं और वृद्धि दर के पटरी पर लौटने पर सरकार इन रिकैप बॉन्ड्स को धीरे-धीरे सामान्य G-secs में परिवर्तित कर सकती है और बाजार में बिक्री कर सकती है।