Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 Oct, 2018 11:25 AM
सेबी की एक समिति एनआरआई और पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट स्कीम (पीआईएस) रूट को फॉरन पोर्टफोलियो इनवेस्टर (एफपीआई) के साथ मिलाने का सुझाव देने जा रही है। इससे प्रवासी भारतीय निवेशकों को राहत मिलेगी और सभी विदेशी निवेशकों के लिए एक जैसी व्यवस्था बनेगी।
बिजनेस डेस्कः सेबी की एक समिति एनआरआई और पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट स्कीम (पीआईएस) रूट को फॉरन पोर्टफोलियो इनवेस्टर (एफपीआई) के साथ मिलाने का सुझाव देने जा रही है। इससे प्रवासी भारतीय निवेशकों को राहत मिलेगी और सभी विदेशी निवेशकों के लिए एक जैसी व्यवस्था बनेगी।
NRI निवेश पर हटेगी पाबंधी
सूत्रों के मुताबिक, 'इससे सेबी को भारत में एनआरआई निवेश को रेगुलेट करने में मदद मिलेगी। अभी इसका रेगुलेशन नहीं होता। एनआरआई के निवेश की अभी रिपोर्टिंग और मॉनिटरिंग नहीं होती, लेकिन इस प्रपोजल के लागू होने से वे भी सेबी के दायरे में आ जाएंगे।' इस बदलाव के बाद निवेशक एफपीआई कैटेगरी में शिफ्ट हो जाएंगे। इससे एनआरआई निवेश पर अभी जो पाबंदियां लगी हैं, वे खत्म हो जाएंगी।
मिलेगी यह अनुमति
एनआरआई को भारतीय शेयर बाजार में सीधे और परोक्ष रूप से निवेश करने की इजाजत मिली हुई है। भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) को पीआईएस के तहत भारतीय कंपनियों में सीधे पैसा लगाने की अनुमति है। वे म्यूचुअल फंड खरीद सकते हैं, प्राइवेट इक्विटी फंड्स में निवेश कर सकते हैं और ऑफशोर एफपीआई रूट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एनआरआई और पीआईओ को भारतीय कंपनियों के डिबेंचर और सरकारी बॉन्ड में भी पैसा लगाने की इजाजत है। एनआरआई इनवेस्टमेंट को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत रेगुलेट किया जाता है।